अधिकारी निलंबन की मांग पर कांग्रेस का बहिर्गमन

मध्यप्रदेश विधानसभा में आज मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने एक अधिकारी के निलंबन की मांग को लेकर सरकार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया;

Update: 2017-07-21 15:18 GMT

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में आज मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने एक अधिकारी के निलंबन की मांग को लेकर सरकार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।

इसके पहले कांग्रेस विधायक निशंक जैन की ध्यानाकर्षण सूचना का जवाब देते हुए आदिम जाति कल्याण एवं अनुसूचित जाति कल्याण राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने अपने जवाब में कहा कि मामले में एक महीने में जांच पूरी कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन विपक्षी सदस्य विभाग के अपर संचालक सुरेंद्र सिंह भंडारी के निलंबन की मांग पर अड़े रहे और सदन से बहिर्गमन कर गए।

अपनी सूचना में श्री जैन ने कहा कि आरोपी अधिकारी ने 68 करोड़ रुपए का दोहरा आहरण किया है और सरकार उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही।

इस पर मंत्री श्री अार्य ने कहा कि मामले में अदालत ने स्थगन दिया है।

विधायक श्री जैन ने स्थगन आदेश की प्रति मांगते हुए दावा किया कि वह स्थगन हत्या के एक दूसरे मामले में मिला है और उसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

जवाब में श्री आर्य ने कहा कि विभाग के आयुक्त मामले की जांच कर रहे हैं आैर दोषी पाए जाने पर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।

इसी बीच श्री जैन ने कहा कि 2010 से इस मामले की जांच चल रही है और अधिकारी ने चालकों की भर्ती में भी गड़बड़ी की है।

श्री आर्य ने चालक मामले में नोटिस जारी होने की जानकारी दी, लेकिन जवाब से असंतुष्ट विपक्षी दल के विधायकों का अधिकारी के निलंबन की मांग को लेकर हंगामा जारी रहा।

विधायक रामनिवास रावत ने कहा कि आरोपी अधिकारी को लोकायुक्त ने भी जांच में दोषी पाया है।
इसी बीच मंत्री श्री आर्य ने आश्वासन दिया कि एक महीने में जांच पूरी करके कार्रवाई की जाएगी।

इसके बाद भी सरकार के रवैये से नाखुश नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह समेत पार्टी के अन्य सदस्यों ने सरकार पर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन कर दिया।

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