आतंकी हमले के विरोध में बंद रहा जम्मू

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में अमरनाथ यात्रियों की बस पर आतंकवादी हमले के विरोध में आज जम्मू पूर्ण बंद रहा;

Update: 2017-07-12 01:58 GMT

जम्मू। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में अमरनाथ यात्रियों की बस पर आतंकवादी हमले के विरोध में आज जम्मू पूर्ण बंद रहा। कल रात हुए हमले में सात लोगों की मौत हुई है और 19 अन्य घायल हुए हैं।

घायलों में तीन पुलिस कर्मी भी शामिल हैं। हमले के विरोध में समूचा जम्मू शहर बंद रहा। प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाए। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस सहित विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और टीम जम्मू के कार्यकर्ताओं ने रैलियां निकाली। प्रदर्शनकारियों ने कुछ स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम कर दिया और टायरों को जलाकर अपना आक्रोश जताया। बंद को चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ने भी समर्थन दिया है। टीम जम्मू संस्था के अध्यक्ष जोरावर जामवल ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, आश्चर्य की बात है कि कश्मीर पुलिस प्रमुख का कहना है कि आतंकवादियों ने जिस बस पर हमला किया, वह काफिले का हिस्सा नहीं थी और न ही श्राइन बोर्ड में पंजीकृत थी।

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा है कि बस में कुछ तकनीकी गड़बड़ी आ गई थी और वह काफिले से छूट गई थी। उन्होंने कहा कि मुद्दा यह नहीं है कि बस काफिले का हिस्सा थी या नहीं , बल्कि घाटी में आये लोगों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। इस बीच जम्मू में स्थानीय प्रशासन ने अफवाहों अथवा हमले के भड़काऊ संदेश या तस्वीरों के प्रसार पर रोक लगाने के लिए कल देर रात इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी। आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि सोशल मीडिया पर कुछ उकसाने वाले पोस्ट डाले जाने पर तनाव फैलने की आशंका के मद्देनजर मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गयी है और इन सेवाओं का बहाल होना स्थिति और सुरक्षा संदर्भों पर निर्भर है।

बस चालक सलीम...  ने उसे 3 लाख रुपए नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। वहीं गुजरात सरकार ने बस चालक को उसके साहस के लिए वीरता पुरस्कार के लिए केन्द्र सरकार को नाम भेजने की घोषणा की है। उधर, सूरत में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने हवाईअड्डे पर संवाददाताओं को बताया, हम उस बस चालक का आभार जताते हैं, जिन्होंने भारी गोलीबारी के बीच कई जिंदगियां बचाईं। गुजरात सरकार वीरता पुरस्कार के लिए सलीम का नाम केंद्र सरकार के पास भेजेगी।

विपक्ष ने मोदी व...  उठा रही है, इस बारे में प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को बताना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि आतंकवादी हमला सरकार तथा सुरक्षा बलों की तरफ से सुरक्षा में बरती गई गंभीर लापरवाही है। सुरजेवाला ने कहा, यह समय है कि सरकार जागे और शब्दों व बैठकों को छोड़कर काम करे तथा आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने कश्मीर की मिली-जुली संस्कृति पर हमला किया है।  उन्होंने कहा, अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर आतंकवादी हमले से राष्ट्र चकित और अत्यधिक दुखी है। मौजूदा सरकार क्या कर रही है, यह एक मूक सवाल है? सुरजेवाला ने सवाल करते हुए कहा, क्या प्रधानमंत्री बयान देंगे और देश को आश्वासन देंगे कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के क्या निर्णायक कदम उठाएगी और यह हर कीमत पर सुरक्षित होगी। 
उन्होंने कहा, अगर 25 जून को ही खुफिया जानकारी मिल गई थी कि अमरनाथ यात्रा पर हमला किया जाएगा, तो इसे रोकने के उपाय क्यों नहीं अपनाए गए? इसे असफल करने के लिए क्या उपाय किए गए थे? क्या हम एक बार फिर बैठकों और पूछताछ में ही इस तरह के एक महत्वपूर्ण मुद्दे को गवां देंगे या फिर निर्णायक कार्रवाई करते हुए दोषियों को सजा दिलाएंगे जिन्होंने देश की सबसे पवित्र धार्मिक यात्रा पर आतंकवादी हमला करने की हिम्मत की है।ग मार्क्?सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि हमले से संबंधित खुफिया जानकारी के बावजूद एहतियातन कदम क्यों नहीं उठाए गए।

येचुरी ने संसद भवन के बाहर कहा, गयह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हमले से संबंधित खुफिया जानकारी के बावजूद एहतियातन कदम क्यों नहीं उठाए गए? सरकार को यह जवाब देना है कि खुफिया रिपोर्ट के बावजूद यह घटना क्यों घटी। उन्होंने कहा कि पिछले बार इस तरह का हमला साल 2000 में हुआ था, जब केंद्र में भाजपा नीत सरकार थी। माकपा नेता ने कहा, और एक बार फिर जब आपके पास केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार है, यह क्यों हो रहा है? सरकार को इसका जवाब देने की जरूरत है।

जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुगा ने कहा कि केंद्र सरकार को हालात का दोबारा आकलन करना चाहिए और फैसला करना चाहिए कि क्या राज्य में राज्यपाल शासन की जरूरत है। उन्होंने कहा, अगर मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती को बरकरार रखना असमर्थनीय है, तो कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। लेकिन, यह केंद्र को फैसला करना है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व राज्यपाल कर्ण सिंह ने भी रा'य में रा'य में राज्यपाल शासन की मांग की।
 

गांधी  उप राष्ट्रपति के...  अगस्त 2007 से उपराष्ट्रपति हैं। वह 11 अगस्त, 2012 को दूसरी बार भी इस पद के लिए चुने गए थे। उनका मौजूदा कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। मंगलवार को हुई विपक्षी दलों की बैठक 90 मिनट के करीब चली और इस दौरान विपक्षी दल के नेताओं ने दो मिनट का मौन रखकर एक दिन पहले जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमले में मारे गए अमरनाथ यात्रियों को श्रद्धांजलि दी। विपक्षी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बदला लेने, किसानों द्वारा खुदकुशी, नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर को लागू किए जाने पर भी चर्चा की। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियां राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं।

उन्होंने कहा, गमुद्दे पर सभी दलों के बीच सर्वसम्मति बनी। विपक्षी पार्टियां न सिर्फ संसद के अंदर और बाहर सहयोग कर रही हैं, बल्कि अन्य मंचों से भी, खासकर सोशल मीडिया पर।" ओ ब्रायन ने कहा कि गोपालकृष्ण गांधी के नाम पर 15 मिनट के अंदर सहमति बन गई। सिर्फ एक नाम का प्रस्ताव आया और सिर्फ एक नाम पर चर्चा हुई। गोपालकृष्ण गांधी का समर्थन करने वालों में मार्क्?सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी भी शामिल थे। एक कांग्रेस नेता ने बताया कि जब गोपालकृष्ण गांधी को विपक्षी दलों के फैसला के बारे में बताया गया तो उन्होंने अपनी रजामंदी देने के लिए 15 मिनट का समय मांगा। उस समय वह कहीं व्याख्यान दे रहे थे। 

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