आपसी पारिवारिक कलह और कानूनी मुद्दों में बच्चे की भलाई सर्वोपरि : उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि पति-पत्नी की पारिवारिक कलह और कानूनी मुद्दों में बच्चे की भलाई एवं कल्याण सर्वोपरि होगा;

Update: 2017-10-06 23:41 GMT

लखनऊ। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि पति-पत्नी की पारिवारिक कलह और कानूनी मुद्दों में बच्चे की भलाई एवं कल्याण सर्वोपरि होगा।

इसी के मद्देनजर तलाक लेकर दूसरी शादी करने वाली महिला को उसके पहले पति का बच्चा गोद दिए जाने के आदेश उच्च न्यायालय ने दिए हैं। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका को स्वीकार करते हुए आज यह आदेश दिये।

न्यायालय ने कहा है कि क़ानूनी प्रावधानों के अनुसार बच्चे को गोद दिये जाने की प्रक्रिया पूरी की जाए। यह भी कहा कि यह भी देखना जरूरी है कि नाबालिग बच्चे का हित और भलाई किसमें है।

गौरतलब है कि याची महिला की शादी वर्ष 2006 में हुई थी। वर्ष 2009 में उसने एक बच्चे को जन्म दिया। पारिवारिक कलह के चलते महिला का पति से आपसी रज़ामन्दी के द्वारा तलाक हो गया था।

तलाक होने के बाद महिला ने अपने भविष्य को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया में कार्य कर रहे व्यक्ति से शादी कर ली। दूसरी शादी के बाद महिला ने पहले पति के बच्चे को गोद लेने की अर्जी निचली अदालत में दायर की। सुनवाई के बाद निचली अदालत ने महिला की अर्जी खारिज कर दी।

महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बच्चे को गोद लेने की बात कही। इस मामले में न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता बुलबुल गोदियाल ने न्यायमित्र की भूमिका अदा की।

सुनवाई के बाद अदालत ने बच्चे की भलाई को सर्वोपरि माना तथा बच्चे के कल्याण और हित के मद्देनजर अदालत ने महिला को गोद दिये जाने की इजाज़त दे दी।

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