​​​​​​​  आदिवासी इलाकों में विरोध के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने वापस ली महुआ नीति

 छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी इलाकों में भारी विरोध के बाद नई महुआ नीति को कैबिनेट से अनुमोदन के पहले ही वापस ले लिया;

Update: 2017-04-23 13:42 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी इलाकों में भारी विरोध के बाद नई महुआ नीति को कैबिनेट से अनुमोदन के पहले ही वापस ले लिया। सूत्रों के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल की कल देर शाम यहां हुई बैठक में आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल द्वारा महुआ नीति के अनुमोदन के लिए जैसे ही प्रस्ताव रखा उसका आदिवासी मंत्रियों के साथ ही दूसरे वरिष्ठ मंत्रियों के कड़ा विरोध किया।

उन्होंने इसकी वजह से राज्यभर खासकर आदिवासी इलाकों में महुआ की खरीद बन्द होने से लोगो में सरकार के प्रति नाराजगी का जिक्र किया और कहा कि आदिवासी इलाकों में पैठ बनाने में जुटी पार्टी के लिए आत्मघाती हो सकता है।

सूत्रों के अनुसार इन मंत्रियों ने बगैर मंत्रिमंडल के अनुमोदन के ही आबकारी विभाग द्वारा नीति को लागू करने पर भी आपत्ति जताई।उन्होने बस्तर के हाट बाजार में महुआ की खरीद बन्द होने और नाराज होकर आदिवासियों द्वारा कई जगहों पर महुआ सड़क पर फेंकने की घटनाओं का भी जिक्र किया।इसके बाद मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के निर्देश पर प्रस्ताव को वापस ले लिया।

रमन सरकार द्वारा पिछले दिनों लागू की गई नई महुआ नीति के तहत कोई भी व्यक्ति पांच किलो से ज्यादा महुआ बिना अनुज्ञा (परमिट) पत्र के नहीं ले जा सकता है। कोई भी व्यापारी नये नियम के तहत 500 क्विंटल प्रतिवर्ष से ज्यादा का महुआ व्यापार नहीं कर पायेगा।

फरवरी से जून तक महुआ का सीजन होता है और केवल बस्तर में 60,000 टन महुआ की खरीद होती है। पिछले महीने तक 25 से 30 रू. प्रति किलो बिकने वाला महुआ नई नीति लागू होने के बाद दो रूपए किलो में भी नहीं बिका। इससे आदिवासी इलाकों में काफी आक्रोश फैल रहा था।
 

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