छत्तीसगढ़ :जंगली हाथियों के उत्पात से नहीं मिल सकी राहत
छत्तीसगढ़ के एक बड़े हिस्से में जंगली हाथियों का उत्पात रोकने के लिए वन विभाग द्वारा किए गए असंख्य प्रयास;
पत्थलगांव। छत्तीसगढ़ के एक बड़े हिस्से में जंगली हाथियों का उत्पात रोकने के लिए वन विभाग द्वारा किए गए असंख्य प्रयास और कर्नाटक राज्य से लाया गया पांच कुमकी हाथियों का दल भी आदिवासियों को हाथियों के प्रकोप से राहत नहीं दिला पाए हैं।
जंगली हाथी और मानव के बीच संघर्ष में जनहानि के साथ अब जंगली हाथियों की मौत के मामलों में भी खासा इजाफा हुआ है।
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार जशपुर वन मंडल में जंगली हाथियों के उत्पात के साथ पड़ोसी धरमजयगढ़ और सरगुजा वन मंडल के सौ से अधिक गांवों में इन दिनों हाथियों का उत्पात बढ़ गया है। जंगली हाथियों के उत्पात से जनहानि व किसानों की फसल का नुकसान को रोकने के लिए कर्नाटक के प्रशिक्षित कुमकी हाथियों का दल बुलवाया गया था, लेकिन सरगुजा में विफल हो जाने के बाद वन अधिकारी इन हाथियों को दूसरे जिलों में भेजने का साहस नहीं कर पा रहे हैं।
इन दिनों बरसात का मौसम शुरू होने के बाद आबादी क्षेत्र में किसानों के खेतों में हरियाली फैल जाने से जंगली हाथियों के उत्पात में इजाफा हो गया है। दूसरी ओर किसान अपने खेतों में लगी धान की फसल की सुरक्षा के लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हैं, जो जंगली हाथियों के लिए भी जानलेवा साबित हो रही है। हाथी प्रभावित क्षेत्र में जनहानि के साथ जंगली हाथियों की लगातार हो रही मौतें अब वन अमले के लिए चिंता बन गई हैं।
धरमजयगढ़ वन मंडल अधिकारी प्रणय मिश्रा ने बताया कि बीते सप्ताह पत्थलगांव के समीप ससकोबा जंगल में जंगली हाथी के शव का पोस्टमार्टम के बाद चिकित्सकों ने जहरीली वस्तु को मुख्य कारण बताया है। उन्होने बताया कि धरमजयगढ़ वन मंडल में लगभग 50 गांव हाथियों के उत्पात प्रभावित के रूप में चिन्हित किए गए हैं।