सीईओ ने किसानों के बैकलीज की फाइल तलब की
बैकलीज के दौरान तीन हजार वर्गमीटर से ज्यादा छोड़ गई जमीन एक बार फिर किसानों के लिए आंदोलन का मद्दा बन सकता है वहीं कमेटी में शामिल अधिकारियों के लिए आफत बन सकती है;
ग्रेटर नोएडा। बैकलीज के दौरान तीन हजार वर्गमीटर से ज्यादा छोड़ गई जमीन एक बार फिर किसानों के लिए आंदोलन का मद्दा बन सकता है वहीं कमेटी में शामिल अधिकारियों के लिए आफत बन सकती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमित मोहन प्रसाद ने आबादी की बैकलीज को लेकर पूरी फाइल तलब कर ली है। इसमें तीन हजार वर्गमीटर से ज्यादा बैकलीज में छोड़ गई जमीन की जांच कर उसे रद्द किया जा सकता है साथ ही कमेटी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। बसपा सरकार में जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था उसका खतौनी से नाम काट कर प्राधिकरण काम नाम दर्ज कर लिया गया था। बाद में किसानों ने आबादी के नाम पर आंदोलन किया और उन्होंने आबादी छोड़ने की मांग उठाई।
अधिग्रहित की गई जमीन को फिर से आबादी के नाम पर छोड़ने के लिए बैकलीज का प्रावधान किया गया। इसके लिए शासन के आदेश पर प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी को तीन हजार वर्गमीटर तक आबादी की जमीन छोड़ने का अधिकार था। इसके बाद बादलपुर समेत कई गांव में 40 हजार वर्गमीटर से ज्यादा जमीन बैकलीज के नाम छोड़ दी गई थी। यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में गया था। कोर्ट ने इस मामले की जांच मुख्य कार्यपालक अधिकारी को सौंपी थी इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने लिए कहा था। इसका भी प्राधिकरण के बोर्ड में पास हुआ था।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमित मोहन प्रसाद ने आबादी की बैकलीज की पूरी फाइल को तलब किया है। अब यह जांच किया जा रहा है कि कितने लोगों को तीन हजार वर्गमीटर से ज्यादा जमीन छोड़ी गई है। तीन हजार वर्गमीटर से ज्यादा छूट जमीन का निरस्त किया जा सकता हे। तीन हजार वर्गमीटर से ज्यादा जमीन की बैकलीज करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।