केंद्र का हलफनामा वक्फ कानून में संशोधनों को उचित ठहराने की कोशिश : अधिवक्ता प्रदीप यादव

। वक्फ कानून को लेकर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर इस कानून की आवश्यकता और औचित्य को स्पष्ट किया है;

Update: 2025-04-26 09:50 GMT

नई दिल्ली। वक्फ कानून को लेकर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर इस कानून की आवश्यकता और औचित्य को स्पष्ट किया है। सरकार ने कहा कि वक्फ कानून में संशोधन का उद्देश्य इसकी आड़ में हो रहे निजी और सरकारी संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना है।

केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था खत्म होने से मुस्लिम समुदाय का वक्फ करने का अधिकार नहीं छीना गया है, बल्कि कानून के दुरुपयोग पर लगाम लगाई गई है। सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस मामले में अधिवक्ता प्रदीप यादव ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "केंद्र का हलफनामा संशोधनों को उचित ठहराने की कोशिश करता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं करता कि 100 साल पुरानी वक्फ संपत्तियों का क्या होगा। साल 1947 में प्राचीन स्मारक अधिनियम लागू होने के बाद भी कई मकबरे और दरगाहों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भी सॉलिसिटर जनरल से पूछा था कि 'जामा मस्जिद या अजमेर दरगाह जैसे स्मारकों के रिकॉर्ड कहां हैं?' यह एक जटिल मुद्दा है। सरकार का मौजूदा जवाब कोर्ट में टिक नहीं पाएगा, क्योंकि यह तथ्यों पर आधारित नहीं है। कोर्ट इस मामले में गंभीर है और ऐतिहासिक स्थलों के महत्व को समझता है।"

जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को 5 सितंबर 2024 को दी गई जानकारी के अनुसार, 5,975 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जा चुका था। सरकार का कहना है कि पुराने कानून के तहत वक्फ बाय यूजर एक “सुरक्षित आसरा” बन गया था, जहां से सरकारी और निजी संपत्तियों को हथियाया जा सकता था। सरकार ने अदालत से कहा कि कोर्ट को संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर बिना विस्तृत सुनवाई के रोक नहीं लगानी चाहिए।

सरकार के अनुसार, साल 2016 से अब तक वक्फ संपत्ति में 116 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्र ने स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम धार्मिक संस्था नहीं है। इसमें किया गया संशोधन संविधान के अनुरूप है। इसमें मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। सरकार ने यह भी बताया कि वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में से अधिकतम तीन गैर-मुस्लिम हो सकते हैं, जो समावेशी प्रतिनिधित्व का संकेत है। पिछले 100 वर्षों से वक्फ बाय यूजर मौखिक नहीं, बल्कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत ही होता रहा है। अदालत अब इस मामले की पूरी सुनवाई के बाद निर्णय लेगी।

Full View

Tags:    

Similar News