आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक 3-5 दिसंबर को होगी, रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर रख सकता है बरकरार

वित्त वर्ष 26 की जुलाई-सितंबर अवधि में अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.2 प्रतिशत रहने के कारण आरबीआई दिसंबर की अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रख सकता है। यह जानकारी एसबीआई रिसर्च की ओर से रविवार को दी गई;

By :  IANS
Update: 2025-11-30 13:29 GMT

आरबीआई दिसंबर की मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रख सकता है: एसबीआई

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 26 की जुलाई-सितंबर अवधि में अर्थव्यवस्था की विकास दर 8.2 प्रतिशत रहने के कारण आरबीआई दिसंबर की अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रख सकता है। यह जानकारी एसबीआई रिसर्च की ओर से रविवार को दी गई।

एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुछ दिनों पहले दिसंबर की मौद्रिक नीति में 0.25 प्रतिशत की कटौती की संभावना जताई गई थी, लेकिन सितंबर तिमाही में जीडीपी के मजबूत आंकड़े आने के कारण अब इसकी संभावना कम हो गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों पर स्थिर रुख बनाया जा रहा है। हालांकि, ब्याज दरों में कटौती फैसले अभी भी लिए जा रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है।

वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार तर्कहीन प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि तुलनात्मक रूप से निफ्टी 500 बेहतर स्थिति में दिख रहा है।

दिसंबर के पहले सप्ताह में मौद्रिक नीति समिति की बैठक से पहले जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्रीय बैंक को नीतिगत क्षेत्र के बाहर सकारात्मक कार्रवाई जारी रखनी होगी। बाजार की धारणा को बदलना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकारी बॉन्ड बाजार तेजी से अव्यवस्थित हो रहा है। ओवरनाइट रेपो दर और 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड के बीच का अंतर 40-50 बीपीएस से बढ़कर 100-110 बीपीएस हो गया है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बिना किसी दर कटौती के व्यापक आधार पर विकास के लिए एक "न्यूट्रल रीजम" जरूरी है, जो कि यील्ड और तरलता प्रबंधन को एक साथ लक्ष्य करके एक बैलेंस बनाएगी।

आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक 3-5 दिसंबर को होगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर अवधि) में 8.2 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर हासिल की है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की विकास दर 5.6 प्रतिशत से काफी अधिक है।

सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि रियल जीडीपी वृद्धि दर के आठ प्रतिशत से ऊपर निकलने की वजह द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन था।

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