बीजिंग: Air Pollution in China: दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण हो रही चिंताओं के बीच चीन द्वारा प्रदूषण से निपटने के प्रयासों पर भी चर्चा तेज हो गई है। इस संदर्भ में बीजिंग समेत कई प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता और प्रदूषण नियंत्रण की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वहीं, बीजिंग में गुरुवार को धुंध (स्माग) का प्रकोप देखने को मिला, जिससे शहर की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 215 के "अत्यंत खराब" स्तर पर पहुंच गया है। यह स्थिति उन प्रयासों के बावजूद आई है, जो वर्षों से चीन ने प्रदूषण कम करने के लिए किए हैं।
भारी कोहरे और धुंध की यलो चेतावनी
चीन की राष्ट्रीय वेधशाला ने बुधवार को देश के विभिन्न हिस्सों में भारी कोहरे और धुंध के कारण यलो चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि हेबेई, बीजिंग, तियानजिन, हेनान, अनहुई, जियांग्सू, हुबेई, सिचुआन बेसिन और चोंगकिंग जैसे क्षेत्रों में घने कोहरे और प्रदूषण का स्तर बढ़ने की संभावना है। इन क्षेत्रों में तापमान में गिरावट और मौसम की अनिश्चितताओं ने प्रदूषण को और बढ़ा दिया है।
बड़े कदम उठाए
बीजिंग में प्रदूषण का यह अप्रत्याशित उछाल कुछ हद तक पिछले वर्षों में किए गए प्रयासों के बावजूद आया है। 2016 के बाद से सरकार ने भारी प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को बंद करने, स्थानांतरित करने और स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए हैं। इन कदमों का परिणाम यह रहा है कि बीजिंग में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है। पिछले वर्षों की तुलना में, इस वर्ष के पहले 11 महीनों में, शहर में पीएम2.5 की औसत सांद्रता 26.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक गिर गई है, ज पिछले वर्ष की तुलना में 16.7 प्रतिशत कम है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से उल्लेखनीय प्रगति
यह आंकड़ा दर्शाता है कि बीजिंग ने प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से उल्लेखनीय प्रगति की है। इस अवधि के दौरान, शहर में 282 दिनों तक हवा की गुणवत्ता "अच्छी" या उससे बेहतर दर्ज की गई है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 23 दिन अधिक है। इन प्रयासों के तहत, शहर में वाहनों का संचालन सीमित करना, उद्योगों का नियमन, स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाना और वृक्षारोपण जैसे कदम शामिल हैं।
आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार
हालांकि, अभी भी मौसम और पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ सकता है। बीजिंग के पर्यावरण अधिकारियों ने कहा है कि वे सतर्क हैं और आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार हैं। साथ ही, सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नई रणनीतियों और योजनाओं पर काम शुरू किया है ताकि इस तरह के अप्रत्याशित उछाल से निपटा जा सके।
यह स्थिति दिल्ली के प्रदूषण संकट के साथ-साथ चीन की पर्यावरण नीतियों को लेकर जागरूकता और जागरूकता बढ़ाने का अवसर है। दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर चिंता का विषय बना हुआ है, और सरकार तथा विशेषज्ञ लगातार नए उपायों की तलाश में लगे हैं। वहीं, चीन ने अपने प्रयासों के बावजूद भी मौसमी बदलाव और औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रदूषण का सामना कर रहा है, लेकिन वह अपनी नीतियों को मजबूत कर रहा है।
पर्यावरण संरक्षण में निरंतरता और समर्पण
वायु प्रदूषण से लड़ने के प्रयासों के बावजूद, मौजूदा स्थिति दर्शाती है कि पर्यावरण संरक्षण में निरंतरता और समर्पण जरूरी है। चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कठोर कदम उठाने जरूरी हैं और इन्हें स्थायी बनाने के लिए सरकार, उद्योग और जनता का संयुक्त प्रयास आवश्यक है। अंततः यह स्थिति हमें यह भी सिखाती है कि पर्यावरण संरक्षण एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें मौसम, औद्योगिक गतिविधि और जनता की भागीदारी अनिवार्य है। दिल्ली और बीजिंग दोनों ही शहरों को अपनी अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए, प्रदूषण मुक्त वातावरण की दिशा में निरंतर प्रयास करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण का निर्माण हो सके।