लॉकडाउन में मजदूरों की मदद के लिए आगे आया बीएमएस
देश के प्रमुख मजदूर संगठन, भारतीय मजदूर संघ(बीएमएस) इन दिनों लॉकडाउन के दौरान एक्शन मोड में है;
नई दिल्ली। देश के प्रमुख मजदूर संगठन, भारतीय मजदूर संघ(बीएमएस) इन दिनों लॉकडाउन के दौरान एक्शन मोड में है। संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्र के मजदूरों के हक की आवाज उठाने में जुटा है। दो करोड़ से अधिक सदस्य संख्या वाले इस संगठन ने लॉकडाउन के दौरान ऐसे मजदूरों की समस्या भी उठाई, जिनका कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है। मसलन, फिशरीज, स्ट्रीट वेंडर से लेकर चाय बगानों में काम करने वाले ऐसे मजदूरों का मुद्दा भारतीय मजदूर संघ ने उठाया तो सरकारों ने आर्थिक मदद देनी शुरू की।
बीएमएस के क्षेत्रीय संगठन मंत्री पवन कुमार ने आईएएनएस से कहा, संगठन ने बिना रिकॉर्ड वाले मजदूरों के हक में आवाज बुलंद की, जिसका नतीजा रहा कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों ने ऐसे मजदूरों की सुधि ली। दिल्ली में बगैर राशन कार्ड वालों को भी राशन मिल रहा है। ई-रिक्शा और टेंपों वालों को भी सरकार सहायता दे रही है। इसी तरह यूपी में योगी सरकार ने भी एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता देनी शुरू की है।
बीएमएस ने लॉकडाउन के दौरान पूरे देश में मजदूरों को राशन और फूड पैकेट देने की मुहिम चलाई, और दिल्ली में ही एक लाख से ज्यादा मजदूरों को राशन और भोजन उपलब्ध कराया गया। पवन कुमार ने बताया कि लॉकडाउन की शुरुआत में भी भारतीय मजदूर संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की।
पवन कुमार ने कहा, "अधिकांश प्रवासी मजदूर घर जा चुके हैं। जो अभी महानगरों में हैं, वे भी रेल सेवा शुरू होने पर घर जाने की बाट जोह रहे हैं। ऐसे में कल-कारखानों के संचालन में मजदूरों की उपलब्धता बड़ी चुनौती है। सरकार को चरणवार तरीके से उद्योगों का संचालन शुरू करना चाहिए। इससे मजदूरों की उपलब्धता में दिक्कत नहीं होगी।"
पवन कुमार ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के घर चले जाने की स्थिति में स्थानीय मजदूर संकटमोचक बनेंगे, जो महानगरों के आसपास के स्थाई निवासी हैं।