600 वोकेशनल टीचर्स को हटाने पर भाजपा नेताओं ने की एलजी से इंसाफ की मांग

दिल्ली सरकार ने 27 मई को करीब 600 पार्ट टाइम वोकेशनल टीचर्स की सेवाएं समाप्त कर दी;

Update: 2024-06-23 09:09 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने 27 मई को करीब 600 पार्ट टाइम वोकेशनल टीचर्स की सेवाएं समाप्त कर दी। इसके बाद शिक्षकों ने दिल्ली के सांसदों से मुलाकात की थी और शनिवार को इस मामले में भाजपा के नेता दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिले। उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि इस शिक्षकों को देने के लिए पूरे साल का करीब 38 करोड़ रुपयेे की स्वीकृति कराने के बावजूद उनकी सेवाएं को खत्म कर दी गईं।

नई दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पार्ट टाइम वोकेशनल टीचर्स को यह कहकर हटाया है कि दिल्ली में हीट वेब है, जो बहुत ही अचंभित करती है। कोविड में भी इन शिक्षकों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया था। दिल्ली में हीट वेव कोई नया नहीं है, हीट वेब हर गर्मी में आती है, लेकिन दिल दहलाने वाली बात यह है कि दिल्ली सरकार ने इन टीचर्स को दिए जाने वाले पूरे साल का पैसा करीब 38 करोड़ स्वीकृत कराने के बाद छह सौ टीचर्स को नौकरी से हटा दिया गया।

उन्होंने कहा कि इनमें से कई टीचर्स तो ऐसे हैं, जो जल्द ही रिटायर होने वाले हैं। अगर उनकी सर्विस में गैप आती है तो ग्रेच्युटी में भी इफेक्ट पड़ेगा। इसके बाद भी दिल्ली सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा। इनका पूरा पैसा तो ले लिया और हीट वेब का एक बाहाना देकर इनको नौकरी से हटा दिया।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली सरकार के अत्याचार के मामले को लेकर हमने दिल्ली के एलजी से मुलाकात की। दिल्ली सरकार ने लगभग 600 वोकेशनल टीचर्स को बिना कोई कारण बताए 27 मई को नौकरी से निकाल दिया। जबकि 2024-25 में जो पैसा उन पर खर्च होना था, वह दिल्ली सरकार के पास आ चुका था। टीचर्स को एक साजिश के तहत हटाया गया।

उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल ने हमारे सांसदों से मुलाकात की थी। इसके बाद हमारे सांसदों ने उनकी मांगों को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल को एक ज्ञापन दिया। हमने उपराज्यपाल से इस पूरे मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की अपील की है। हम उम्मीद करते हैं शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं होगा, यह बहुत ही गंभीर मसला है, जिसे हमारे सांसदों ने उठाया है।

 

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