भाजपा और आरएसएस आपातकाल के दौरान नहीं थे अग्रणी सेनानी : माकपा

 मार्क्‍सवादी कम्युनिस्त पार्टी (माकपा) का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ को आपातकाल के दौर के सबसे महत्वपूर्ण सेनानी के रूप में दिखाना चाहती;

Update: 2018-06-28 16:58 GMT

नई दिल्ली।  मार्क्‍सवादी कम्युनिस्त पार्टी (माकपा) का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और जनसंघ को आपातकाल के दौर के सबसे महत्वपूर्ण सेनानी के रूप में दिखाना चाहती है, लेकिन सच्चाई इससे अलग है।

माकपा के मुखपत्र 'पीपुल्स डेमोक्रेसी' के संपादकीय में लिखा गया है, "जहां यह सच है कि बड़ी संख्या में आरएसएस कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया था, वहीं यह भी सच है कि उनमें से कई लोगों ने उनकी रिहाई के लिए इंदिरा सरकार द्वारा बनाई गई 20 शर्तो को स्वीकार कर माफी मांग ली थी।"

संपादकीय के अनुसार, "जेल से इंदिरा गांधी को दो पत्र लिखकर सरकार को सहयोग करने तथा सरकार के रचनात्मक कार्यक्रमों को समर्थन देने का प्रस्ताव देने वाले आरएसएस के तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहेब देवरस के संकेत पर शायद उन्होंने ऐसा किया।"

यह संपादकीय 1975-77 के आपातकाल शासन की 43वीं वर्षगांठ के मौके पर लिखा गया है। आपातकाल के दौरान सभी विरोधी राजनीतिक दलों के हजारों कार्यकर्ताओं और नेताओं को जेल में डाल दिया गया था और संविधान में उद्धृत सभी मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए थे।

संपादकीय के अनुसार, इसके बाद यह तिथि भाजपा नेतृत्व के लिए अपनी घमंडी और विकृत मानसिकता दिखाने का मौका बन गई।

संपादकीय के अनुसार, मोदी सरकार के चार साल अघोषित आपातकाल हैं, जिसमें एक अधिकारवादी शासन का संस्थानीकरण करने के अलावा कुछ नहीं हुआ है।

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