युद्ध के लिए तैयार रहना भी शांति का मार्ग: धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रभावशाली रक्षा तंत्र और प्रतिरोधक क्षमता को किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत करार देते हुए अाज कहा ,“ युद्ध के लिए तैयार रहना शांति का मार्ग है ”।;

Update: 2023-11-03 17:46 GMT

नयी दिल्ली । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रभावशाली रक्षा तंत्र और प्रतिरोधक क्षमता को किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत करार देते हुए अाज कहा ,“ युद्ध के लिए तैयार रहना शांति का मार्ग है ”।

श्री धनखड़ ने शुक्रवार को यहां मानेकशॉ सेंटर में ‘चाणक्य रक्षा संवाद-2023’ को संबोधित करते हुए शांति के महत्व पर बल देते हुए कहा कि शांति कोई विकल्प नहीं बल्कि यही एक रास्ता है। उन्होंने कहा कि व्यापक दृष्टिकोण, विचार, बहस, और संवाद के साथ-साथ सतर्कता तथा हर तरह की स्थिति के लिए तैयार रहते हुए शांति की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रभावशाली रक्षा तंत्र और प्रतिरोधक क्षमता किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत होती है और इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है , "युद्ध के लिए तैयार रहना शांति का मार्ग है " उन्होंने सुरक्षा तंत्र को पुख्ता बनाने के लिए देश की सॉफ्ट पावर और आर्थिक ताकत के इस्तेमाल के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता , रोबोटिक्स, क्वांटम, सेमी-कंडक्टर, बायो-टेक, ड्रोन और हाइपरसोनिक्स जैसी प्रौद्योगिकियों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इनके कारण युद्ध के तरीके बदल रहे हैं । उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि इन क्षेत्रों में महारात और ताकत की बड़ी भूमिका होगी।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि चाणक्य रक्षा संवाद दक्षिण एशिया और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा स्थितियों के गहन विश्लेषण के लिए उपयुक्त मंच के रूप में पहचान बनायेगा, जो अंततः क्षेत्र में सामूहिक सुरक्षा समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा।

भारत को कुछ बेहतरीन रणनीतिकारों और आध्यात्मिक विचारकों की 'कर्मभूमि' के रूप में संदर्भित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि 'भारत को हजारों वर्षों के सभ्यतागत लोकाचार का अनूठा उपहार प्राप्त है।' आचार्य चाणक्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चाणक्य ने राष्ट्र की रक्षा और हथियारों तथा शास्त्रों के माध्यम से संस्कृति का पोषण करने के महत्व पर जोर दिया।

यूक्रेन और पश्चिम एशिया संकटों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण और आर्थिक परस्पर निर्भरता के बावजूद इन क्षेत्रों में संघर्ष जारी हैं। उन्होंने कहा , “ राष्ट्रीय सुरक्षा असंख्य विशेषताओं और क्षमताओं का समूह है तथा सेना इसका केवल एक हिस्सा है"।

इस मौके पर थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार, वायु सेना के उप-प्रमुख एयर मार्शल ए पी सिंह, सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पी.एस. राजेश्वर (सेवानिवृत्त), थल सेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार, विभिन्न देशों के राजदूत तथा उच्चायुक्त और प्रतिनिधि मौजूद थे।

Tags:    

Similar News