बाँदा: गौ-आश्रय स्थलों से गौ-मूत्र की बिक्री शुरू
उत्तर प्रदेश के बांदा में मवेशियों की अन्ना प्रथा समाप्त करने के लिये स्थापित गौ-आश्रय स्थलों में एकत्र गौ-मूत्र की बिक्री कर उसके आय के साधन बढ़ाने शुरू कर दिए गए हैं।;
बाँदा। उत्तर प्रदेश के बांदा में मवेशियों की अन्ना प्रथा समाप्त करने के लिये स्थापित गौ-आश्रय स्थलों में एकत्र गौ-मूत्र की बिक्री कर उसके आय के साधन बढ़ाने शुरू कर दिए गए हैं।
बुंदेलखंड में किसानों की सबसे बड़ी अन्ना पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिये गौ-आश्रय स्थलों की स्थापना कर अन्ना पशुओं को लाकर सुरक्षित करने का प्रबंध किए गए हैं।
जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह ने आज यहां बताया कि तिंदवारी विकासखंड के साड़ी गांव में स्थापित गौ-आश्रय स्थल में कल तक 40 लीटर गौ-मूत्र एकत्र किया गया था।
जिसे हमीरपुर के मौदहा कस्बा स्थित एक कंपनी को चार हजार रुपये में बेचकर रकम आश्रय स्थल को रख रखाव में व्यय करने के लिये दे दी गई है।
उन्होंने बताया कि 10 किलो गौ-मूत्र में एक किलो नीम, एक किलो मदार और एक किलो धतूरा मिलाकर कीटनाशक दवाएं बनाने के लिये भी किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने कहा कि गौ-मूत्र से तैयार कीटनाशक दवाओं को किसान अपने खेतों में उपयोग कर सकते हैं और अधिक तैयार होने पर इसे 125 रुपये प्रति लीटर बेचकर अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं।