ललित सुरजन की कलम से - इजिप्त : बिगड़ते हालात
'मुस्लिम ब्रदरहुड मुर्सी की रिहाई और बहाली के लिए उग्र आंदोलन छेड़े हुए है तो सेना बंदूक की गोलियों से उसका मुकाबला करने में लगी है;
'मुस्लिम ब्रदरहुड मुर्सी की रिहाई और बहाली के लिए उग्र आंदोलन छेड़े हुए है तो सेना बंदूक की गोलियों से उसका मुकाबला करने में लगी है। ऐसे में सेना का यह दावा निरर्थक हो जाता है कि वह जनतंत्र की बहाली करना चाहता है। इस सैनिक शासन में अलबरदेई ने उपराष्ट्रपति पद संभाल लिया था, लेकिन सेना के साथ मुठभेड़ में बड़े पैमाने पर हुई मौतों के बाद उन्होंने न सिर्फ पद त्याग कर दिया, बल्कि देश छोड़कर भी चले गए।'
'अभी आगे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन मेरा सोचना यही है कि इजिप्त के उदारवादी तबके को हिम्मत के साथ सामने आकर नेतृत्वकारी भूमिका का परिचय देना चाहिए तभी देश के ऊपर छाया अंधेरा दूर होगा। इसके साथ यह याद रख लेना भी उचित होगा कि सोशल मीडिया से सच्ची क्रांति नहीं होती।'
(देशबन्धु में 22 अगस्त 2013 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2013/08/blog-post_21.html