इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा बहू को बेदखल करने के आदेश पर रोक लगाई

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), लखनऊ के उस आदेश को रद्द कर दिया है;

Update: 2021-11-15 15:22 GMT

लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), लखनऊ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें एक विधवा बहू को उसके ससुराल से सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत संक्षिप्त कार्यवाही के आधार पर बेदखल करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने कहा कि मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों में, 14 जुलाई का आक्षेपित आदेश लागू नहीं किया जा सकता है और इसे रद्द किया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि ससुराल वालों को निर्देश दिया जाता है कि वे मकान नंबर 3/347, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ का नीचे का हिस्सा याचिकाकर्ता बहू और उसके बेटे को तुंरत सौंप दें।

अदालत ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी तरह से अपने घर में अपने हिस्से के अलावा ऊपर की मंजिलों में रहने वालों के प्रवेश और निकास में हस्तक्षेप नहीं करेगी। ससुराल वाले भी बहु को किसी भी तरह से परेशान या उसकी जिंदगी में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

अदालत ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007 के तहत संक्षिप्त कार्यवाही के आधार पर एक पत्नी को उसके वैवाहिक घर से बेदखल नहीं किया जा सकता है।

एसडीएम (सदर), लखनऊ के 14 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए खुशबू शुक्ला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

एसडीएम ने अपने आदेश में खुशबू शुक्ला को गोमती नगर में अपने पति के घर को खाली करने का आदेश दिया था। एसडीएम ने शुक्ला के ससुर की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया था।

खुशबू शुक्ला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि 15 जुलाई 2019 को उनके पति गौरव शुक्ला की मौत के बाद से उनके ससुराल वाले उन्हें प्रताड़ित करने लगे है। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि एसडीएम के आदेश के बाद उसे और उसके बच्चे को बेघर कर दिया जाएगा।

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