इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपराधियों के खिलाफ सख़्त कदम उठाने के निर्देश दिये

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को शातिर अपराधियो और माफियाओं पर शिकंजा कसने के सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए है;

Update: 2017-05-20 14:02 GMT

इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को शातिर अपराधियो और माफियाओं पर शिकंजा कसने के सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए है। न्यायालय ने प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक को एक के बाद दूसरा अपराध करने वाले शातिर अपराधियो की जमानत के सिद्धांत तय करने अौर इस बारे में दो महीने के भीतर एडवाइजरी और सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है।

न्यायालय ने शियाट हमले एवं हाथरस हत्या मामले के पीड़ितों और गवाहों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सम्बंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को सौंपी है। न्यायालय ने कहा है कि अपराधों की निष्पक्ष विवेचना के मानक तय कर त्वरित कार्यवाई हो ताकि पीड़ितों का पुलिस पर विश्वास कायम हो।

विवेचना की खामी की शिकायत पर पुनर्विवेचना की प्रक्रिया भी निर्धारित की जाय। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कल शियाट नैनी के प्रॉक्टर राम किसन सिंह एवं हाथरस के राम हरि शर्मा की याचिका पर दिया है।

शियाट हमले में बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद तथा हाथरस में हुई चिराग उपाध्याय के काफिले पर हमले में मृत्यु के आरोपी पूर्व विधायक देवेंद्र अग्रवाल है। न्यायालय ने दर्जनों हत्या अपहरण के आरोपियों को जमानत मिलने पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए आपत्ति की है और कहा है कि अपराध पर अपराध करने वालो की जमानत नहीं होनी चाहिए तथा जमानत का दुरूपयोग करने वालो की जमानत निरस्त होनी चाहिये ताकि पुलिस विवेचना और न्याय व्यवस्था पर जनविश्वास कायम रहे। 
 

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