मुलायम सिंह यादव का कांग्रेस विरोध - अखिलेश यादव की है रजामंदी ?

क्या अखिलेश यादव स्वयं चाहते हैं कि मुलायम सिंह यादव कांग्रेस का नुकसान करने के लिए बाहर निकलें ? जी हां, ऐसा भी हो सकता है...क्योंकि उससे अखिलेश को भी आगे चलकर फायदा होने जा रहा है......;

Update: 2017-02-05 10:21 GMT

नई दिल्ली, 04 फरवरी। क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव स्वयं चाहते हैं कि सपा के अपदस्थ अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव कांग्रेस का नुकसान करने के लिए बाहर निकलें ?

जी हां, ये मानना है देशबन्धु समाचार पत्र के संपादक (ऑनलाइन) अमलेन्दु उपाध्याय का।

देशबन्धु समाचार समूह के वेब न्यूज़ चैनल डीबी लाइव के विशेष कार्यक्रम “चुनावी पंच” में श्री उपाध्याय ने समाजवादी पार्टी के अंदर चल रही उठापटक पर विस्तार से चर्चा की और चुनाव के माहौल में मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव की रणनीति पर विस्तार से प्रकाश डाला।

श्री उपाध्याय ने कहा,  

“मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के लाल कृष्ण अडवाणी बनाए जा चुके हैं। इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे अधिक दुविधाग्रस्त और संकटग्रस्त कोई शख्सियत हैं तो वो मुलायम सिंह यादव हैं। उनकी पहली लड़ाई खुद के अंदर इसलिए है, क्योंकि समाजवादी पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई वो खुद अपने बेटे से ही हार गए। इसलिए उनके अंदर जो उथल-पुथल है वो बार-बार निकलकर सामने आती है। कहने को उन्हें मार्गदर्शक बनाया गया, संरक्षक बनाया गया, सूची में उनका नाम सबसे ऊपर रखागया, लेकिन कोई कार्यक्रम पार्टी की तरफ से उनका तय नहीं किया गया।“

उन्होंने कहा

“आपने अभी तक समाजवादी पार्टी की कोई विज्ञप्ति नहीं देखी होगी, जिसमें ये कार्यक्रम जारी किया गया हो, जिसमें ये कहा गया हो कि मुलायम सिंह यादव उस जगह जाकर कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।“

मुलायमसिंह यादव के इस कदम का सपा-कांग्रेस गठबंधन पर असर का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा

“मुलायमसिंह यादव का इस प्रकार चुनाव प्रचार में निकलने का सपा-कांग्रेस गठबंधन पर असर पड़ेगा। इस मामले में अखिलेश यादव भी अंदरूनी तौर पर चाहते हैं कि नेताजी निकलकर जाएं और इस गठबंधन का विरोध करें। उससे अखिलेश यादव को भी आगे चलकर ये फायदा होने जा रहा है, और वो फायदा बहुतकम लोगों कीनज़र में आ रहा है, वो फायदा ये है कि कांग्रेस मिट्टी में मिल जाने वाली है। 105 सीटें कांग्रेस को लड़ने के लिए दी गई हैं, कहां अविभाजित उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 425 सीटों पर लड़ती थी। जाहिर सी बात है 300 सीटों पर तो कांग्रेस का कार्यकर्ता डिमॉरलाइज़ है ही, 105 सीटें जो बचेंगी, जहां समाजवादी पार्टी उसको समर्थन दे रही है, वहां अगर समाजवादी पार्टी के लोग उसका साथ नहीं देंगे और विद्रोहियों को चुनाव लड़ाएंगे तो सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस का होने जा रहा है। और अखिलेश यादव भी ये चाहेंगे कि उनका तो फायदा हो लेकिन कांग्रेस का किसी तरीके से फायदा न हो, ताकि आगे चलकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए कोई चुनौती न बन सके।“

अखिलेश यादव की इस मानसिकता पर वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि

“इसके पीछे अखिलेश यादव की केवल एक ही मंशा है कि उनकी औरंगज़ेब की जो छवि बनती जा रही है, वो न बनने पाए। बार-बार वो कह रहे हैं कि नेताजी हमारे आदरणीय हैं, सरकार बनेगी तो सबसे ज्यादा सम्मान नेता जी का होगा, लेकिन वो अंदरूनी तौर पर भी चाहते हैं कि कांग्रेस का नुकसान हो और समाजवादी पार्टी का अपर हैंड हो, तो जब चुनाव परिणाम आएं तो उस समय, सरकार बनती है तब भी और नहीं बनती है तब भी, ये कहने को हो कि कांग्रेस के गठबंधन से समाजवादी पार्टी को नुकसान हुआ।“

लोकदल की स्टार प्रचारकों की सूची में मुलायमसिंह यादव का नाम सबसे ऊपर होने के पीछे कारणों और रणनीति, सपा के अंदर चल रहे दंगल को भी श्री उपाध्याय ने इस कार्यक्रम में डिकोड करने की कोशिश की।

इस पूरे कार्यक्रम को डीबीलाइव की साइट http://dblive.tv/ पर सुना वे देखा जा सकता है।

आप डीबी लाइव का एप्प गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।

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