अनुमानों पर मुहर लगाएगा 5वें चरण का मतदान
कई लोग मानते हैं कि लोकसभा के लिये सोमवार को होने जा रहा 5वें चरण का मतदान, इसके बाद शेष दो और चरणों के साथ खानापूरी बनकर रह गया है;
कई लोग मानते हैं कि लोकसभा के लिये सोमवार को होने जा रहा 5वें चरण का मतदान, इसके बाद शेष दो और चरणों के साथ खानापूरी बनकर रह गया है। ऐसा मानने वाले कहते हैं कि पहले चार चरणों में ही फैसला हो चुका है। अब सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी एक हारी हुई लड़ाई लड़ रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षक, विश्लेषक एवं तमाम तरह के सर्वेक्षण कह रहे हैं कि भाजपा को संयुक्त प्रतिपक्ष इंडिया न केवल मजबूत टक्कर दे रहा है बल्कि उसकी ऐसी बढ़त भी बन चुकी है जिससे आगे निकलना भाजपा के लिये अब मुमकिन नहीं रहा। ये अनुमान कितने सही निकलते हैं, यह तो 4 जून को देखने की बात होगी, पर यदि 5वें दौर के मतदान की बात करें तो उनमें ऐसे राज्य व सीटें हैं जिन पर भाजपा कमजोर नज़र आ रही है। यदि पहले के मतदान के चक्रों के अनुमान सही हैं तो 5वां चरण इंडिया की जीत पर मुहर लगाने वाला साबित हो सकता है।
8 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों पर सोमवार को जो मतदान होने जा रहा है, उनमें राहुल गांधी, केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी आदि समेत 695 उम्मीदवारों का भविष्य तय होगा। 379 सीटों पर चार चरणों के मतदान के जरिये चुनाव हो चुके हैं। इस पांचवे चरण के साथ ही कुल 418 सीटों पर मतदान सम्पन्न हो जायेगा। बची रहेंगी 125 सीटें जिन पर बचे दो चरणों में मतदान होगा। सोमवार को किनकी किस्मतें ईवीएम में बंद होगी, इससे कहीं अधिक यह महत्वपूर्ण है कि जिन राज्यों में मतदान होगा, वे निर्णायक सिद्ध होने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की 14, महाराष्ट्र की 13 और पश्चिम बंगाल की 7 सीटों के मतदान पर सभी का ध्यान केन्द्रित है क्योंकि यह माना जाता है कि ये तीनों राज्य ऐसे हैं जो बिहार के साथ इस चुनाव में बड़ा उलटफेर करेंगे।
इस चुनाव के शुरू होने के पहले तक उप्र को भाजपा का गढ़ माना जाता था क्योंकि 2019 में यहां से उसे 80 में 62 सीटें मिली थीं। अब स्थिति वैसी नहीं रही। यहां कांग्रेस व समाजवादी पार्टी का गठबन्धन है जो काफी प्रभावशाली है। कांग्रेस के राहुल गांधी, प्रियंका एवं सपा के अखिलेश यादव की ओर युवा, छात्र, महिलाएं, अल्पसंख्यक, पिछड़े आदि वर्ग बहुत आकर्षित हुए हैं। 30 लाख लोगों को रोजगार देने, अग्निपथ योजना को रद्द करने, पेपर लीक हमेशा के लिये बन्द करने जैसे आश्वासन युवाओं-छात्राओं को इंडिया की ओर मोड़ रहे हैं। यहां एक राजनीतिक फैक्टर भी काम कर रहा है। चर्चा है कि नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वैसे ही हटाया जायेगा जैसे राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया, मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को दरकिनार किया गया था। कहा जाता है कि योगी एवं उनके समर्थक इस बात को भांप गये हैं। चूंकि आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री पद के लिये मोदी का प्रतिस्पर्धी माना जाता है इसलिये बड़ी बात नहीं कि मोदी यहां बहुमत न पायें। इसके लिये वहां भाजपा भितरघात कर दे। इसलिये कहा जाता है कि भाजपा यहां गहरे संकटों में है। अखिलेश तो यहां तक कहते हैं कि पूरे प्रदेश में इंडिया 79 सीटें जीत रहा है। उनके अनुसार क्योटो (वाराणसी) की सीट भी फंसी पड़ी है जहां से मोदी चुनाव लड़ रहे हैं।
महाराष्ट्र में भी मुकाबला कांटे का है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे एवं नेशनल कांग्रेस पार्टी के शरद पवार के पक्ष में पूरे राज्य में जबर्दस्त लहर है, जो उनके प्रति सहानुभूति उत्पन्न होने के कारण बनी है। यहां उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही सरकार को केन्द्र सरकार के इशारे पर शिवसेना व एनसीपी के लोगों को तोड़कर गिराया गया था। उद्धव ठाकरे गुट व एनसीपी के पवार गुट को ही यहां की जनता असली मानती है। यहां भाजपा व उसके एनडीए के सहयोगी शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) व एनसीपी (अजित पवार गुट) की कई सीटें फंसी हुई बतलाई जाती हैं। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में यहां कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना तथा शरद पवार गुट की एनसीपी को मिलकर बनी महाविकास आघाड़ी को सीटें जा रही हैं।
सभी की दिलचस्पी का एक और राज्य है पश्चिम बंगाल। यहां मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कड़ा मुकाबला देने की तैयारी की है। इसी प्रकार बिहार में नीतीश कुमार द्वारा करीब चार माह पूर्व इंडिया को छोड़कर एनडीए का हाथ थामा गया था। उससे लोग अब भी नाराज़ हैं। यहां राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, जो नीतीश कुमार के जनता दल (यूनाइटेड) के साथ मिलकर 17 माह सरकार चला चुके थे, बेहद लोकप्रिय हैं क्योंकि उस दौरान उनके द्वारा बड़ी संख्या में पक्की सरकारी नौकरियां बांटी गई थीं। उसका अच्छा असर जनता पर पड़ा है। वे इस समय युवाओं के हीरो बन गये हैं। झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जिस प्रकार ईडी के जरिये जेल में डालकर रखा गया था, उससे न केवल वहां के आदिवासी बल्कि अन्य वर्ग भी नाराज हैं जिसका असर चुनावी परिणामों के रूप में नज़र आएगा।
यही कारण है कि भाजपा के स्टार प्रचारक मोदी एवं उनकी पार्टी अधिक जमकर हिन्दू-मुस्लिम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ताक पर रखकर मोदी जिस प्रकार से कांग्रेस के न्याय पत्र को लेकर अनर्गल बातें कर रहे हैं, उससे साफ है कि यह चुनाव अब जनता ने अपने हाथों में ले लिया है। लोगों ने इस चुनाव को अब देश बनाम भाजपा की लड़ाई में बदल दिया है।