दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों को दिसम्बर 2020 के बाद नहीं मिला कोई अनुदान
दिल्ली सरकार द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज के कई वरिष्ठ शिक्षक रविवार को एकत्रित हुए;
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेज के कई वरिष्ठ शिक्षक रविवार को एकत्रित हुए। इन कॉलेजों को दिल्ली सरकार से अनुदान मिलता है, लेकिन दिसम्बर 2020 के बाद इन कॉलेजों को कोई अनुदान नहीं मिला है।
इस वजह से शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को दिसंबर 2020 के बाद वेतन नहीं मिला है। महाराजा अग्रसेन कॉलेज स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष सुबोध कुमार ने कहा, "दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित उक्त 12 कॉलेजों में हम अविलंब धनराशि जारी करने की मांग करते हैं। नियमित रूप से वेतन जारी करने की बात को भी सुनिश्चित करना चाहते हैं। अनियमित वेतन और मेडिकल बिल जैसे बिलों के भुगतान न होने से इन कॉलेजों के शिक्षक और कर्मचारी अनिश्चिय की स्थिति में जी रहे हैं।"
अम्बेडकर कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुजीत कुमार ने कहा, "दिल्ली सरकार के 100 फीसदी वित्त पोषित उक्त 12 कॉलेजों में वेतन रोकने का यह मामला वैधानिक और नैतिक मानदंडों का उल्लंघन है। इन सम्मानित संस्थानों की शैक्षणिक पारिस्थितिकी पर इस तरह की अनियमितता बहुत भारी और विपरीत असर डालती है। हजारों संकाय सदस्यों और कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगाई गई है, जिसकी वजह से चिकित्सा बिल, छात्रवृत्ति, टेलीफोन और बिजली बिल जमा नही हो सके हैं और कष्ट निरंतर बढ़ रहा है।"
प्रोफेसर सुबोध कुमार के मुताबिक सरकारी फंडिंग को एक या अन्य किसी मामले से जोड़कर टालने से (जैसे गवर्निग बॉडी फॉर्मेशन, छात्रों की फीस, प्रोबिटी आदि) इन कॉलेजों के कामकाज पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सर्वविदित है कि यह विश्वविद्यालय वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देने का कार्य करता रहा है। छात्रों की फीस को सरकारी वित्तीय अनुदान से किसी भी प्रकार से जोड़ना निजीकरण को बढावा देना है और यह भारत में सामाजिक न्याय आधारित उच्च शिक्षा के विचार के खिलाफ है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली सरकार द्वारा अपने अधीन करने का भी शिक्षक कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनके मुताबिक एक शताब्दी से अधिक पुरानी हमारी इस यूनिवर्सिटी को खत्म करने के किसी भी प्रयास का हम इसी तरह पुरजोर विरोध करेंगे।