सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान किया जायेगा : रमेश पोखरियाल
सरकार ने आज कहा कि हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं का हर हाल में सम्मान किया जायेगा तथा नयी शिक्षा नीति अभी सिर्फ मसौदे की शक्ल में है और यह सरकार की नीति नहीं

नयी दिल्ली। सरकार ने आज कहा कि हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं का हर हाल में सम्मान किया जायेगा तथा नयी शिक्षा नीति अभी सिर्फ मसौदे की शक्ल में है और यह सरकार की नीति नहीं है।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा “सरकार सभी भारतीय भाषाओं के सशक्तीकरण के लिए काम कर रही है। सभी भारतीय भाषाओं का हर हाल में सम्मान किया जायेगा।”
ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मंत्री ने लिखित प्रश्न के उत्तर में बिंदु ‘घ’ में इसका सीधे जवाब नहीं दिया है कि क्या वह हिंदी को सभी राज्यों में अनिवार्य भाषा बनाना चाहती है। इस पर निशंक ने कहा कि अभी सिर्फ नयी शिक्षा नीति का मसौदा लोगों के सुझाव के लिए सार्वजनिक किया गया है। उन्होंने कहा “आप पढ़िये न और सुझाव दीजिये न। यह सिर्फ मसौदा है, सरकार की नीति नहीं।”
हिंदी को अनिवार्य बनाये जाने के मुद्दे पर सीधा जवाब नहीं मिलने पर द्रविद मुनेत्र कषगम् की कनिमोझी, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य तथा कुछ अन्य विपक्षी सदस्य भी खड़े होकर मंत्री से स्पष्ट जवाब की माँग करने लगे। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नयी शिक्षा नीति बड़ा मुद्दा है तथा विपक्षी सदस्य चाहें तो इस पर अलग से आधे घंटे की चर्चा माँग सकते हैं। यह कहकर उन्होंने सदस्यों को शांत कराया।
इससे पहले निशंक ने कहा कि 32 साल बाद पहली बार शिक्षा नीति में आमूलचूल बदलाव किया जा रहा है। शिक्षा नीति का मसौदा सार्वजनिक किये जाने के बाद से इस पर बड़ी संख्या में सुझाव प्राप्त हो रहे हैं। सभी सुझावों और टिप्पणियों पर विचार करने के बाद ही सरकार शिक्षा नीति को अंतिम रूप देगी।
तीन भाषा फॉर्मूले के बारे में लिखित उत्तर में कहा गया है कि यह 1968 से ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हिस्सा रहा है। बच्चों की संज्ञानात्मक योग्यताओं में वृद्धि के लिए नयी शिक्षा नीति में भी इसे शामिल किया गया है। हालाँकि मसौदे में भाषाओं के विकल्प के संबंध में लोचशीलता का प्रस्ताव है।


