प्रदेश सरकार की सख्ती के बाद नगर निगम जमीनें बचाने के दावे खोखले
प्रदेश सरकार की सख्ती के बाद नगर निगम जमीनें बचाने का दावा तो कर रहा है, लेकिन प्रयास नहीं कर रहा।....

गाजियाबाद। प्रदेश सरकार की सख्ती के बाद नगर निगम जमीनें बचाने का दावा तो कर रहा है, लेकिन प्रयास नहीं कर रहा। 2016-17 में बजट मिलने के बावजूद नगर निगम ने जमीनों को सुरक्षित करने पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया। बाउंड्रीवाल और तार फेंसिंग के लिए आवंटित बजट लैप्स हो गया। अब निगम को न केवल जमीनों को कब्जामुक्त कराना होगा, बल्कि संपत्तियों का रजिस्टर भी अपडेट करना होगा।
नगर निगम ने वर्ष 2015-16 में जमीनों की सुरक्षा के लिए 2 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था, लेकिन साल भर में एक रुपया भी खर्च न किया। वर्ष 2016-17 में निगम ने यह बजट घटाकर 50 लाख रुपए कर दिया, लेकिन इस साल भी नगर निगम संपत्तियों की सुरक्षा पर एक भी रुपया खर्च न कर पाया। संपत्ति विभाग ने कई जमीनों को कब्जामुक्त कराकर निर्माण विभाग को बाउंड्रीवाल या तार फेंसिंग के लिए रिपोर्ट भेजी, लेकिन निर्माण विभाग सुस्त रहा। जमीनों पर कब्जे होते रहे और निगम अधिकारी सोते रहे। अब आगामी वित्तीय वर्ष के लिए निगम ने फिर से इस मद में महज 50 लाख रुपए का फंड आवंटित किया है।
भाजपा के संकल्प पत्र को अब प्रदेश सरकार ने लागू कर दिया है। इस संकल्प पत्र में भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चलाने के लिए दस्ते तैयार किए जाने हैं। इसकी जिम्मेदारी न सिर्फ जिला प्रशासन बल्कि नगर निगम की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। बावजूद इसके निगम नगर निगम अपनी जमीनों को बचाने के लिए गंभीर नहीं है। जहां भी जमीन पर कब्जे की सूचना मिलती है, तत्काल कार्रवाई की जाती है। बीते सप्ताह कांशीराम आवास योजना के पास सरकारी जमीन पर की जा रही प्लाटिंग को रुकवाया गया। वहां भरी गई नींव को ध्वस्त करा दिया गया। यह अभियान और तेजी से चलाया जाएगा।


