65 नालों का गंगा में प्रवाह बंद करे सरकार: अदालत
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को तीर्थ नगरी हरिद्वार से लेकर गंगा नदी के उद्गम स्थल पर बसे उत्तरकाशी शहर के बीच बिना उपचार के प्रवाहित होने वाले 65 नालों को बंद करने के आदेश दिया

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को तीर्थ नगरी हरिद्वार से लेकर गंगा नदी के उद्गम स्थल पर बसे उत्तरकाशी शहर के बीच बिना उपचार के प्रवाहित होने वाले 65 नालों को बंद करने के आदेश दिया।
इसके साथ ही अदालत ने राज्य के पेयजल सचिव की जिम्मेदारी तय करते हुए राज्य सरकार तथा संबंधित एजेसियों को बिना उपचारित बहने वाले नालों पर कार्य समय से पूर्व सम्पन्न करने के निर्देश भी जारी कियआ। अदालत ने पेयजल सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है और सभी संबंधित जिलाधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की है।
उच्च न्यायालय ने श्रीनगर, कर्णप्रयाग तथा रूद्रप्रयाग की स्थिति को अधिक चिंताजनक बताया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा तथा न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ ने यह निर्देश राज्य सरकार की ओर से पेश प्रतिशपथ पत्र पर सुनवाई के बाद जारी किये गये। सरकार की ओर से आज इस मामले में प्रति शपथपत्र पेश किया गया जिसमें बताया गया कि गंगा नदी में 135 नाले बहते हैं। 70 नालों को गंगा एक्शन प्लान के तहत उपचारित किया गया है जबकि 65 नालों को नमामि गंगे के अंतर्गत संचालित ‘क्लीन गंगा राष्ट्रीय मिशन’ के तहत लिया गया है। इनके उपचार का काम विभिन्न चरणों निष्पादित किया जाना है। इनमें से छह नाले अभी छूट गये हैं। सुनवाई के बाद अदालत ने सभी 65 नालों को तत्काल बद करने के निर्देश दिये।
अदालत ने हरिद्वार नगर निगम को निर्देश दिया कि हरिद्वार में घाटों की सफाई के लिये निविदा प्रक्रिया को 21 दिन के अंदर पूरा करे और इसके तुरंत बाद ही घाटों की सफाई के लिये कार्यादेश जारी करे। अदालत ने ऋषिकेश में गंगा नदी में सीधे प्रवाहित होने वाले दो साईंघाट तथा संतसेवा आश्रम नालों को बंद करने के आदेश दिये। साथ ही जून 2019 से पूर्व काम पूर्ण करने को कहा।
इसी तरह अदालत ने मुनि की रेती में बिना उपचारित बहने वाले छह नालों, कीर्तिनगर में दो, श्रीनगर में 10, श्रीकोट-गंगनाली में पांच, रूद्रप्रयाग में आठ, कर्णप्रयाग में सात, नंदप्रयाग में तीन, गोपेश्वर में सात, जोशीमठ में पांच और बदरीनाथ में चार नालों को बंद करने के निर्देश दिए।
अदालत ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड में गंगा नदी के किनारे कई छोटे-बड़े शहर, कस्बे, नगर निकाय के साथ- साथ गांव बसे हैं, जिनमें से अधिकांश नाले गंगा तथा उसकी सहायक नदियों में सीधे प्रवाहित रहे हैं। इससे गंगा नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है।


