मोदी-शाह की नीतियों के खिलाफ 25 करोड़ लोगों की हडताल: राहुल
राहुल गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों को आम जनता के हितों के खिलाफ करार देते हुए बुधवार को कहा कि उसकी जनविरोधी नीति से हर तबका परेशान है और इसके खिलाफ देश के 25 करोड़ से अधिक श्रमिक हड़ताल पर हैं।

नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों को आम जनता के हितों के खिलाफ करार देते हुए बुधवार को कहा कि उसकी जनविरोधी नीति से हर तबका परेशान है और इसके खिलाफ देश के 25 करोड़ से अधिक श्रमिक हड़ताल पर हैं।
श्री गांधी ने ट्वीट किया ‘‘मोदी-शाह सरकार की जन विरोधी तथा श्रमिक विरोधी नीतियों के कारण देश में आज बेरोजगारी चरम पर है। मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को कमजोर कर उन्हें पूंजीपति मित्रों को बेच रही है। देश के 25 करोड़ से ज्यादा श्रमिक आज ‘भारत बंद’ कर सरकार की नीतियों पर विरोध जता रहे हैं। मैं उनको सलाम करता हूं।”
The Modi-Shah Govt’s anti people, anti labour policies have created catastrophic unemployment & are weakening our PSUs to justify their sale to Modi’s crony capitalist friends.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 8, 2020
Today, over 25 crore 🇮🇳workers have called for #BharatBandh2020 in protest.
I salute them.
बाद में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के दस मजदूर संगठन आज हडताल पर हैं। देश में अशांति है और इसकी वजह सरकार का अड़ियल और अहंकारी रुख है। सरकार के इसी रुख के कारण बेरोजगारी चरम पर पहुंच है और महंगाई आसमान छू रही है। उन्होंने कहा कि जिस सरकार का गृह मंत्री टुकड़े टुकड़े गैंग जैसे शब्दों का इस्तेमाल अपने देश के लाेगों के लिए कर रहा है ऐसे गृहमंत्री तथा उनके तहत काम करने वाली पुलिस से क्या उम्मीद की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि हड़ताल कर रहे संगठनों की मांग है कि सरकार ने रोजगार सृजन को लेकर कुछ नहीं किया है और इस दिशा में उसकी फिलहाल कोई ठोस योजना भी नजर नहीं आ रही है। कंटेनर कारपोरेशन, शिपिंग कारपोरेशन जैसी नवरत्न कंपनियों के निजीकरण पर इन संगठनों की नाराजगी है। रेलवे, कोयले आदि क्षेत्रों में विदेशी निवेश को लेकर भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए गये हैं और उससे जवाब मांगा गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही है। कमजोर अर्थव्यवस्था का सबसे ज्यादा असर मजदूर तथा किसानों पर पड़ता है और सरकार के पांच साल के कामकाज से साबित हो गया है कि वह किसान, नौजवान तथा मजदूर विरोधी है।


