ठेका मजदूरों की हितैषी धारा 25 को खत्म करने का षड़यंत्र रच रही सरकार
केंद्र सरकार नीति आयोग के उस सिफारिश को मानने का मन बन रही है, जिसमें कहा गया है
कोरबा। केंद्र सरकार नीति आयोग के उस सिफारिश को मानने का मन बन रही है, जिसमें कहा गया है कि ठेका कर्मी को स्थाई कर्मचारियों के बराबर वेतन न दिया जाए और इसके लिए सरकार कॉन्ट्रैक्ट लेबर रेगुलेशन एंड अबालिशन) सेंट्रल रूल्स,1971 के धारा 25 को खत्म करने का षडयंत्र कर रही है। चूंकि धारा 25 में समान काम के लिए समान वेतन का प्रावधान है किया गया है इसलिए इसे खत्म कर उद्योग घरानों को लाभ पंहुचाना चाहती है।
इस संबंध में एटक के दीपेश मिश्रा ने जारी बयान में कहा है कि मौजूदा सरकार ने जो नीति आयोग का गठन किया है वह पूरी तरह शक्तिशाली कारपोरेट लॉबी के प्रति समर्पित बुद्धिजीवियों का एक समूह है जो घोर मजदूर विरोधी है। श्रम मंत्रालय ने इस मुद्दे पर 28 जून को त्रिपक्षीय बैठक रखी है जिसमें कारपोरेट और श्रमिक संगठन के लोगों को आमंत्रित किया है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि ठेकेदार पर काम करने वाले अस्थायी या दैनिक वेतनभोगी कर्मी अगर स्थाई कर्मचारी वाला ही काम कर रहे हैं तो समान काम के लिए समान वेतन पाने के अधिकारी हैं, वहीं नीति आयोग का कहना है कि अब जमाना प्रतिस्पर्धा का है और इसलिए उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए तथा समान काम, समान वेतन के बदले उत्पादकता के आधार पर वेतन दिया जाए। दीपेश मिश्रा ने कहा है कि श्रमिक संगठन ने सरकार के इस मजदूर विरोधी कदम का सख्त विरोध करने का मन बना लिया है।
सरकार जीएसटी लागू करने के बाद अब लेबर रिफॉर्म पर जोर देने के फिराक में है। इसमें कंपनियों को उत्पादकता के आधार पर कर्मचारियों की छंटनी या नियुक्ति करने का अधिकार देना शामिल है। इस संबंध में श्रम मंत्री का कहना है कि सरकार श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाएगी और 44 श्रम कानूनों की जगह 4 कोड बनाए जाएंगे किन्तु श्रमिक संगठनों ने सरकार के इस कदम की खिलाफत करने का निर्णय लिया है।


