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वाईएसआरसीपी ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर तेदेपा की मान्यता रद्द करने की मांग की

आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ युवजन श्रमिक रयाथु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर कर टीडीपी की मान्यता रद्द करने की मांग की है

वाईएसआरसीपी ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर तेदेपा की मान्यता रद्द करने की मांग की
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नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ युवजन श्रमिक रयाथु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर कर टीडीपी की मान्यता रद्द करने की मांग की है। वाईएसआरसीपी ने मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कथित तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल पर तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) की मान्यता रद्द करने की मांग की है। वाईएसआरसीपी के महासचिव वी विजय साई रेड्डी ने मंगलवार को राष्ट्रपति के पास पहुंचे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा, "हमने राष्ट्रपति से केंद्रीय कानून मंत्रालय को संसद में अदालतों की अवमानना अधिनियम के समान कानून बनाने का निर्देश देने का आग्रह किया, जो विशेष रूप से किसी संवैधानिक पदाधिकारियों की गरिमा को जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों को दंडित करने का अधिकार रखती है।

वाईएसआरसीपी ने राष्ट्रपति को सौंपे अपने ज्ञापन में आरोप लगाया कि तेलुगू देशम पार्टी राज्य में लोकतांत्रिक प्रगति को नुकसान पहुंचा रही है, इसके अलावा सार्वजनिक मंचों पर अपशब्दों का इस्तेमाल करके राज्य को खराब संदेश दे रही है। रेड्डी ने कहा कि तेदेपा ने कथित अनियंत्रित आचरण जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 का घोर उल्लंघन है, क्योंकि विपक्षी दल ने 'झूठे प्रचार करके सुनियोजित अभियान' से लोगों के दिमाग में जहर घोल दिया है।

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में लोकतांत्रिक संस्थाओं की पवित्रता को तेदेपा द्वारा निराधार हमलों से बचाना अनिवार्य है। रेड्डी ने राष्ट्रपति से संबंधित अधिकारियों को "तेदेपा की मान्यता समाप्त करने के लिए तत्काल कार्रवाई' करने का निर्देश देने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि तेदेपा नेता सार्वजनिक सभाओं, प्रेस कांफ्रेंस और टेलीविजन पर होने वाली बहसों में राज्य को नशीले पदार्थो से जोड़कर खराब परंपरा को कायम कर रहे हैं।

जहां मुख्यमंत्री अपने चुनावी वादों को निभा रहे हैं और कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर रहे हैं, वहीं विपक्षी दल 'लोगों के दिमाग में जहरीले बीज बोने' का काम कर रहे हैं।


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