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नीति-निर्माण में युवाओं की रचनात्मक भागीदारी हो : त्रिवेंद्र सिंह

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं तथा छात्र-छात्राओं की नीति-निर्माण में रचनात्मक भागीदारी चाहती है

नीति-निर्माण में युवाओं की रचनात्मक भागीदारी हो : त्रिवेंद्र सिंह
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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं तथा छात्र-छात्राओं की नीति-निर्माण में रचनात्मक भागीदारी चाहती है।

श्री त्रिवेंद्र ने शनिवार को यहां डीआईटी यूनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को अपनी क्षमता पर विश्वास करना होगा। उन्होंने कहा कि बेहतर सामंजस्य और संवाद के जरिये नई पीढ़ी के साथ जेनरेशन गैप को कम किया जा सकता है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में अच्छे भौतिक संसाधनों, वल्र्डक्लास क्लासरूम, लैब, लाइब्रेरी की कमी को अच्छे शिक्षक पूरा कर सकते हैं। लेकिन अच्छे शिक्षकों की कमी को बेहतर से बेहतर सुविधाएं पूरी नही कर सकतीं। उन्होंने युवाओं से अपने प्रयासों में निरन्तरता और निरन्तर सुधार की कार्यशैली अपनाने पर बल देने की भी अपील की।

श्री त्रिवेन्द्र ने हाल ही में आयोजित ऐतिहासिक निवेशक सम्मेलन में राज्य के 150 छात्र-छात्राओं के भाग लेने की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसा अवसर इसलिए प्रदान किया गया ताकि युवाओं को महत्वपूर्ण मंचों पर अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर मिले तथा युवाओं की भावनाओं और विचारों को समझा जा सके। राज्य सरकार द्वारा बजट निर्माण के दौरान छात्र-छात्राओं से चर्चा की गई और उनके सुझाव मांगे गए। इसके साथ ही महिलाओं, किसानों, सैनिकों सहित समाज के सभी वर्गो से भी सुझाव मांगे गए।

मुख्यमंत्री ने मैनेजमेन्ट गुरू के रूप में बजरंग बली हनुमान को आदर्श चरित्र बताते हुए कहा कि हनुमान जी को किसी भी कार्य में असफलता नही मिली। उन्होंने प्रत्येक कार्य परमार्थ और कल्याण के लिए किया न कि निजी स्वार्थ के लिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राएं भी अपनी शिक्षा का प्रयोग समाज हित और राष्ट्र निर्माण में करना चाहिए।

राज्य में मलेथा स्थित वीर माधो सिंह भण्डारी की ओर से निर्मित लगभग 400 साल पुरानी ऐतिहासिक टनल की चर्चा करते हुए श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि हमारे आज के तकनीकी विशेषज्ञो और इंजीनियरों को इसका अध्ययन करना चाहिए क्योंकि यह एक इंजीनियरिंग का अद्वितीय उदाहरण है। यह टनल किस प्रकार 400 वर्ष बाद भी सिंचाई में सहायता कर रही है, यह अध्ययन का विषय है। उन्होंने कहा कि विज्ञान, तकनीकी और इंजीनियरिंग के छात्र-छात्रा मात्र भवनों के निर्माता नहीं है बल्कि राष्ट्र निर्माता हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार उच्च शिक्षा में गुणवता सुधार के लिए निरन्तर प्रयासरत है।

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी विश्वविद्यालयों के 40 विद्यार्थियों को विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ संवाद और अध्ययन भ्रमण का अवसर देने का निर्णय लिया गया है। सरकारी काॅलेजों में सौ प्रतिशत फैकल्टी सुनिश्चित की जा रही है। जल्द ही अम्बै्रला एक्ट के तहत उच्च शिक्षा की गुणवता में और अधिक सुधार होगा। डीआईटी यूनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह में 11 छात्र-छात्राओं को पीएचडी की डिग्री, 136 छात्र-छात्राओं को 2016-18 वर्ष के लिए परास्नातक, 68 छात्र-छात्राओं को वर्ष 2013-2017 के लिए परास्नातक, 1309 छात्र-छात्राओं को 2014-18 वर्ष के लिए स्नातक की उपाधि प्रदान की गई। इसके साथ ही 16 मेधावी छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल भी प्रदान किए गए।

इस अवसर पर राज्य के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा. धन सिंह रावत, डीआईटी यूनिवर्सिटी के चैयरमेन अनुज अग्रवाल, चांसलर एन. रविशंकर, वाइस चांसलर डा. कुलदीप के रैना और अन्य लोग मौजूद थे।


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