क्या 'ओटीपी' के बिना अमेरिका पढ़ने जाएंगे भारतीय स्टूडेंट
अमेरिका पढ़ने जाने वाले भारतीयों के लिए ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बेहद अहम होती है. इस दौरान मिलने वाले वर्क एक्सपीरियंस से आगे चल कर नौकरी मिलने का रास्ता खुलता है. लेकिन अब अमेरिका में इस ट्रेनिंग का विरोध हो रहा है

अमेरिका पढ़ने जाने वाले भारतीयों के लिए ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बेहद अहम होती है. इस दौरान मिलने वाले वर्क एक्सपीरियंस से आगे चल कर नौकरी मिलने का रास्ता खुलता है. लेकिन अब अमेरिका में इस ट्रेनिंग का विरोध हो रहा है.
हर साल लाखों की संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ाई करने के लिए अमेरिका जाते हैं. कोरोना महामारी के दौरान इनकी तादाद में कुछ कमी आई थी, लेकिन उसके बाद से यह लगातार बढ़ रही है. पिछले दो सालों से, पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने वाले विदेशी स्टूडेंट्स में सबसे ज्यादा भारतीयों ही हैं. उससे पहले, इस मामले में चीनी स्टूडेंट्स पहले स्थान पर हुआ करते थे.
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इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन हर साल 'ओपन डोर्स रिपोर्ट' जारी करता है. इसके मुताबिक, साल 2023-24 में अमेरिका में 3.3 लाख से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट्स थे. इनमें से करीब 36 हजार वहां ग्रेजुएशन कर रहे थे. मास्टर्स कर रहे स्टूडेंट्स की संख्या दो लाख से कुछ कम थी. वहीं, करीब 98 हजार स्टूडेंट ओपीटी यानी 'ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग' के लिए वहां रुके हुए थे. अब अमेरिका में कुछ समूह इसी ओपीटी का विरोध कर रहे हैं.
क्या होती है ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग
अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विदेशी स्टूडेंट्स को ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (ओपीटी) करने का अधिकार होता है. इसके तहत, वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय के लिए अमेरिका में रहकर काम कर सकते हैं. हालांकि, यह काम उनके कोर्स से जुड़ा हुआ होना चाहिए. यानी अगर किसी स्टूडेंट ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है तो उसे काम भी उसी क्षेत्र में करना होगा. इससे स्टूडेंट्स को काम करने का अनुभव मिल जाता है और उनकी कमाई भी हो जाती है.
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साक्षी तिवारी दिल्ली स्थित एक कंपनी 'स्टडी अब्रॉड' में यूएस वीजा काउंसलर हैं. वे अमेरिका जाने की कोशिश कर रहे स्टूडेंट्स की वीजा इंटरव्यू के लिए मदद करती हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू हिंदी को बताया, "अगर कोई विदेशी स्टूडेंट अमेरिका में बैचलर्स या मास्टर्स की पढ़ाई करता है तो वह ओपीटी के तहत वहां एक साल तक काम कर सकता है. हालांकि, अगर किसी स्टूडेंट ने 'स्टेम' फील्ड यानी विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग या गणित में डिग्री ली होती है तो उसे अमेरिका में काम करने के लिए दो साल का अतिरिक्त वक्त मिल जाता है. यानी स्टेम फील्ड का स्टूडेंट अमेरिका में तीन साल तक काम कर सकता है.”
क्यों हो रहा है ओपीटी का विरोध
डॉनल्ड ट्रंप ने 2016 में अपने चुनाव प्रचार में "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” नारे का काफी इस्तेमाल किया था. यह नारा उनके चुनाव अभियान की पहचान बन गया था. धीरे-धीरे इसके समर्थकों का एक बड़ा वर्ग तैयार हो गया, जिनका मानना था कि अमेरिका पहले महान हुआ करता था लेकिन आप्रवासन और वैश्वीकरण जैसी चीजों के चलते इसकी महानता में कमी आई है. इन लोगों को मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (एमएजीए) समर्थक भी कहा जाता है.
अब यही लोग ओपीटी का भी विरोध कर रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, ये समूह मानता है कि अब यह अमेरिका में नौकरी और एच-1 बी वीजा हासिल करने का एक हथकंडा बन गया है. एच-1 बी एक तरह का वर्क वीजा है, जिसके तहत अमेरिका में कई साल तक काम करने की अनुमति मिल जाती है. एमएजीए समर्थकों का कहना है कि ओपीटी की वजह से कॉलेज से निकल रहे अमेरिकी छात्रों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं, इसलिए इसे खत्म कर देना चाहिए.
भारतीयों के लिए क्यों जरूरी है ओपीटी
आंकड़े बताते हैं कि भारतीय स्टूडेंट्स अमेरिका को मास्टर्स की पढ़ाई के लिए ज्यादा पसंद करते हैं. वीजा काउंसलर साक्षी तिवारी के मुताबिक, इसकी कुछ अहम वजहें हैं. वे कहती हैं, "अमेरिका में अंडर ग्रेजुएशन चार साल की होती है, वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन 12 से लेकर 24 महीनों में पूरी हो जाती है. इसमें वक्त और पैसा दोनों ही कम लगता है. वहीं, अमेरिका में रहकर काम करने का वक्त भी बराबर ही मिलता है. इसलिए ज्यादा स्टूडेंट्स मास्टर्स को चुनते हैं."
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साक्षी बताती हैं कि ओपीटी के जरिए स्टूडेंट्स को उनके क्षेत्र में प्रशिक्षण और अनुभव हासिल करने का मौका मिलता है. वे कहती है, "ओपीटी के दौरान स्टूडेंट्स अलग-अलग कंपनियों में नौकरी के लिए भी आवेदन कर सकते हैं. अगर कोई कंपनी किसी स्टूडेंट के काम और क्षमता से प्रभावित होती है तो वह उसे नौकरी देकर उसके एच-1 बी वीजा के लिए आवेदन कर सकती है."
क्या ट्रंप खत्म कर देंगे ओपीटी?
एनबीसी न्यूज की एक खबर के मुताबिक, ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी ओपीटी को समाप्त करने या सीमित करने की बात उठी थी. होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ने ओपीटी को खत्म करने का सुझाव दिया था. तब ट्रंप प्रशासन के निशाने पर चीनी स्टूडेंट थे. लेकिन कॉलेज-विश्वविद्यालयों और तकनीकी क्षेत्र की कंपनियों ने इसका विरोध किया था, जिसके बाद ओपीटी के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया था.
अब ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले ही, अमेरिका में तकनीकी क्षेत्र में काम करने वाले स्थानीय कर्मचारियों के संगठन ने ओपीटी को खत्म करने की मांग की है. हालांकि, डॉनल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर हाल में कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन उन्होंने कुछ दिनों पहले एच-1 बी वीजा की तारीफ जरूर की थी, जिसके खिलाफ उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में सख्त रुख अपनाया था. इसलिए अभी ओपीटी को लेकर ट्रंप का नजरिया स्पष्ट नहीं है.
जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट अमेरिका की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं. ऐसे में अगर ओपीटी का सिस्टम खत्म हुआ तो पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने वाले विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या में भारी कमी आ सकती है. इससे वहां के कॉलेज-विश्वविद्यालयों की आय में कमी आएगी और अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ेगा.


