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अंतरराष्‍ट्रीय द‍िव्‍यांग द‍िवस पर राष्ट्रपति मुर्मू ने दिव्यांगों को किया सम्मानित

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्‍ट्रीय द‍िव्‍यांग दिवस पर नई दिल्ली में द‍िव्‍यागों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए

अंतरराष्‍ट्रीय द‍िव्‍यांग द‍िवस पर राष्ट्रपति मुर्मू ने दिव्यांगों को किया सम्मानित
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंतरराष्‍ट्रीय द‍िव्‍यांग दिवस पर नई दिल्ली में द‍िव्‍यागों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।

इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि दिव्यांगजनों को बाधामुक्त वातावरण उपलब्ध कराना समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए।

राष्ट्रपति भवन में दिव्यांगजनों द्वारा संचालित कैफेटेरिया का उदाहरण साझा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि काम के अवसर देने से उन्हें आत्मविश्वास के साथ एक सार्थक जीवन जीने में मदद मिलती है।

वहीं केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति की मौजूदगी में 33 दिव्यांगजनों और संस्थाओं को सम्मानित किया गया। दिव्यांगजनों में प्रतिभाओं की कमी नहीं होती है। यहां पर जो पुरस्कार प्राप्त करने के लिए दिव्यांगजन आए थे, उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम किया है।

मंत्री ने कहा, जो मानसिक रूप से अस्‍वस्‍थ होते हैं, उनको लोग कमरे में बंद कर देते हैं, जंजीरों से बांध देते हैं। यह उच‍ित नहीं है। उनको स्‍वस्‍थ करना हमारी प्राथम‍िकता है, ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें, ऐसे लोगों को यहां पर सम्मानित करने का काम किया गया है। उन्होंने समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत किया है, यह उनके परिश्रम का सम्मान है। इससे बाकी दिव्यांगजन भी प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें।

कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार के साथ-साथ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले और बीएल वर्मा भी उपस्थिति रहे।

हर साल 3 दिसंबर को दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ऐसे व्यक्तियों, संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और राज्य/जिला/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करता है, जिन्होंने विकलांगता क्षेत्र में असाधारण प्रतिबद्धता और उपलब्धियां प्रदर्शित की हैं।

यह कार्यक्रम न केवल विकलांग व्यक्तियों के संघर्ष और सफलता की कहानियों का जश्न मनाता है, बल्कि सशक्तिकरण, समावेश और समानता के संदेश को सच्ची प्रगति के स्तंभों के रूप में रेखांकित करता है।



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