योगी ने सरकारी आवास पर लोगों की समस्याएं सुनीं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोज की तरह आज भी अपने सरकारी आवास पर लोगों की समस्याएं सुनीं और अधिकारियों को इन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोज की तरह आज भी अपने सरकारी आवास पर लोगों की समस्याएं सुनीं और अधिकारियों को इन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी जनता की समस्याओं के निस्तारण में रुचि लेकर काम करें। बिजनौर से आयीं दिव्यांग सुश्री कृष्णा त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री से आर्थिक सहायता का अनुरोध किया।
फैजाबाद से आयीं सुश्री कुलसुम बानो ने बताया कि उनके दादा ने उन्हें सम्पत्ति से बेदखल कर दिया है, इस पर उन्होंने मुख्यमंत्री से मदद का निवेदन किया, वहीं इलाहाबाद से आए धर्मेन्द्र ने अपने पुत्र के इलाज के लिए आर्थिक सहायता की मांग की। इसके अलावा भी बड़ी संख्या में लोगों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
योगी ने प्रदेश के मंत्रियों को निजी ठेकेदारी के रूप में काम कर रहे अपने रिश्तेदारों से दूर रहने की सलाह दी। इसके अलावा, वे सरकारी दौरे के समय सरकारी गेस्ट हाउस में रहेंगे और हर साल 31 मार्च तक उन्हें अपनी संपत्ति का विवरण जमा करना होगा। इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने घोषणा की थी कि 19 मार्च को पद ग्रहण करने के बाद, मुख्यमंत्री ने अपनी मंत्रिपरिषद की एक बैठक आयोजित कर सरकार के साथ-साथ पार्टी कार्यालय में अपनी संपत्ति का विवरण जमा करने के लिए कहा था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बडी संख्या में मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत नहीं किया है। मंत्रियों को अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा तीन अप्रैल तक ही देना चाहिए था।
जब इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के नोटिस में लाया गया था, तो उन्होंने मंत्रिपरिषद को अगले तीन दिनों में ब्यौरा देने के लिए कहा था। कुल 46 मंत्रियों में से अभी तक केवल 13 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा जमा किया है
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस मामले में मंत्रियों के बीच कुछ भ्रम हो रहा है क्योंकि उन्हें कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें अपनी संपत्ति का ब्यौरा कैसे देना है। नाम न छापने की शर्त पर एक मंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले हफ्ते सीए द्वारा प्रमाणित संपत्ति रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजा था, लेकिन इसे यह कहकर खारिज कर दिया गया था कि यह एक ऐसी रिपोर्ट है जिसे उन्होंने चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया था।
उन्होंने कहा, “अधिकारियों को एक परिपत्र भेजना चाहिए कि रिपोर्ट किस प्रकार जमा करें और प्रारूप क्या है , यदि प्रारूप चुनाव आयोग से अलग है, तो उसे उन्हें सूचित किया जाये, जिससे वह इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत कर सकें। एक अन्य मंत्री ने कहा कि वह आधिकारिक काम में इतने व्यस्त थे कि वह इसे भूल गए। उन्होंने कहा, “ मुझे मेरे परिवार और जिन पार्टी कार्यकर्ताओं ने चुनाव के दौरान मेरी मदद की थी उनके लिए भी मुझे समय नहीं मिल रहा है।


