महंत नरेंद्र गिरि की मौत पर योगी सरकार ने की सीबीआई जांच की सिफारिश
उत्तर प्रदेश सरकार ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व बाघंबरी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि की मौत की मामले की जांच की सिफारिश सीबीआई से कर दी है

- रतिभान त्रिपाठी
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश सरकार ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व बाघंबरी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि की मौत की मामले की जांच की सिफारिश सीबीआई से कर दी है। राज्य सरकार ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। ट्वीट में लिखा गया है- प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि जी की दु:खद मृत्यु से जुड़े प्रकरण की जांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी गई है। मामले की जांच फिलहाल 18 सदस्यीय एसआईटी कर रही थी। नरेंद्र गिरि की मौत की जांच के लिए बनी एसआईटी ने अपनी तफ्तीश शुरू भी कर दी थी। इससे पहले बाघंबरी मठ में महंत नरेंद्र गिरि को भू-समाधि दे दी गई है। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर का स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल में 5 डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया।
महंत की मौत के साथ ही इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग उठ रही थी। मौका-ए-वारदात के हालात, संतों के बयान और महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट की बातें तालमेल नहीं खातीं। मामला हाईप्रोफाइल है इसलिए पुलिस भी इसे हल्के में निपटा पाने की स्थिति में नहीं है।
पूरा घटनाक्रम साजिशों के भयावह जंगल में रहस्यों के काले घेरे में छुपा लग रहा है। 9बुधवार को जब महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम यात्रा निकल रही थी तो नेशनल टेलीविजन मीडिया इसे लाइव दिखा रहा था। इसी दौरान एक मीडिया कर्मी ने शव वाहन में बैठे एक वरिष्ठ संत से घटना को लेकर लब-ए-सड़क सवाल दागा कि महंत जी की मौत के बारे में आप क्या सोचते हैं? इस पर संत ने फौरन जवाब दिया कि महंत जी कमजोर व्यक्ति नहीं थे। वह आत्महत्या तो नहीं कर सकते। लगता है साजिश के तहत उनकी हत्या की गई है। उसी वाहन पर दो फुट की दूरी पर महंत जी का पार्थिव शरीर था। उक्त संत की बातों से लग रहा था जैसे वह महंत जी मौजूदगी में यह बात कहते हुए उनका पराक्रम बताना चाह रहे हों।
महंत के कथित सुसाइड नोट के सहारे मठ से लाभ पाने की स्थिति वाले संत और अन्य लोग भले ही आत्महत्या की कहानी को सही मानते हों लेकिन अन्य किन्हीं भी संतों-महंतों, गणमान्य व्यक्तियों या उन्हें करीब से जानने वाले इस थ्योरी को पचा नहीं पा रहे हैं। पहले 13 सितंबर को काले पेन से फिर 20 सितंबर को नीले पेन से दसों पेज की चिट्ठी तो बड़े बड़े मनोवैज्ञानिकों को हैरानी में डाल सकती है। इसलिए कि आत्महत्या करने वाला व्यक्ति इतना लंबा लिखने की जहमत नहीं उठाएगा। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि आत्महत्या का विचार फौरी होता है।


