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योगी सरकार आंकड़ेबाजी के खेल से राज्य को बड़ी त्रासदी की ओर ले जा रही: अजय कुमार लल्लू

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया कि योगी सरकार झूठी बयानबाजी और आंकड़ेबाजी के खेल से राज्य को बड़ी त्रासदी की ओर ले जा रही है

योगी सरकार आंकड़ेबाजी के खेल से राज्य को बड़ी त्रासदी की ओर ले जा रही: अजय कुमार लल्लू
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आरोप लगाया कि योगी सरकार झूठी बयानबाजी और आंकड़ेबाजी के खेल से राज्य को बड़ी त्रासदी की ओर ले जा रही है।

अजय कुमार लल्लू ने मंगलवार को जारी बयान में प्रदेश में वैक्सीन की उपलब्धता और वैक्सीनेशन में भारी अंतर पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूद रफ्तार में लगभग 42 माह का समय वैक्सीन से प्रदेशवासियों को आच्छादित करने में लगेगा, क्योंकि अभी तक मात्र 4.86 प्रतिशत लोगों का ही वैक्सीनेशन ही हो पाया है। वहीं प्राइवेट नर्सिंग होम्स में यह पूरी तरह बंद है।

उंन्होने कहा कि आंकड़ों की बाजीगरी करने वाली योगी सरकार अब तक कुल 1,1680213 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दे पायी, वहीं 18 वर्ष से अधिक आयु के मात्र 2.76 प्रतिशत लोगों को पहली डोज मिल पायी है जबकि राष्ट्रीय औसत व टारगेट के सापेक्ष 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 6.25 प्रतिशत लोगों का वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए था। डबल डोज प्राप्त करने वालों की प्रदेश में कुल संख्या मात्र 3260076 है। उन्होने कहा कि कोरोना संक्रमण से 97000 गांवों में जांच व मेडिकल किट का कोई अता पता नहीं है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार द्वारा गठित निगरानी समितियां कहीं नजर नहीं आ रही हैं और सरकार झूठ बोलकर इंसानी जानाें के साथ लगातार खिलवाड़ करने का घृणित अपराध कर अपने संवैधानिक व नैतिक दायित्वों के निर्वहन से मुँह मोड़कर लोगों को भाग्य भरोसे छोड़कर सत्तासुख तक सीमित हो गयी है।

उन्होने कहा कि राजधानी लखनऊ में जिस तरह रफ्तार है उसमें लगभग दो वर्ष का समय वैक्सीनेशन पूरा करने में लगेगा। ऐसे में सरकार का हर दावा जमीनी सच्चाई में परखने पर औंधे मुंह गिर जाता है। फिर भी सरकार झूठ और हेराफेरी से बाज नहीं आ रही है।

लल्लू ने कहा कि सरकार बताये कि वैक्सीनेशन की यही रफ्तार रही तो कितने वर्ष में त्रासदी से प्रदेश मुक्त हो पायेगा। सरकार दावा कर रही है कि हमारे पास 18 लाख वैक्सीन डोज उपलब्ध है। जब उपलब्धता है तो वैक्सीनेशन सेंटर सरकार क्यों कम कर रही है। छह सप्ताह में दूसरी डोज देने की नीति में संसोधन कर उसमें 82 दिन का अंतराल क्यों किया गया है। अभी भी तमाम दावों के बाद भी ग्रामीण इलाकों में जांच व इलाज ही उपलब्ध नहीं है।


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