हिंसा को भारत में समर्थन नहीं : अंसारी
येरेवन ! उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और हिंसा की छिटपुट घटनाओं को समाज से समर्थन नहीं मिलता है।

येरेवन ! उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और हिंसा की छिटपुट घटनाओं को समाज से समर्थन नहीं मिलता है।
अर्मेनिया की यात्रा पर आये डॉ़ अंसारी ने यहाँ येरेवन स्टेट यूनिवर्सिटी में छात्रों के सवालों पर कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का एक मूल सिद्धांत है और भारतीय लोग इसका पूरी तरह पालन करते हैं। संविधान सभी वर्गों के हितों का ख्याल रखा गया है। इसके बावजूद हिंसा की कोई घटना होती है तो समाज उसका समर्थन नहीं करता है।
उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने अधिकतर चुनौतियाँ मानव के जीने, ढँग से जीने, शांतिपूर्वक जीने और किसी मानवीय या प्राकृतिक खतरों के बिना जीने से संबंधित हैं। मूलभूत मानवीय अधिकार माने जाने वाले जीने के अधिकार का मतलब साँस लेने, भोजन, पानी और स्वास्थ्य के अधिकार से है। इन सब के लिए सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के सभी पहलुओं के समाधान की जरूरत है। इनके अलावा जनसंख्या, बीमारी, ऊर्जा एवं संसाधन की चुनौतियाँ भी हैं।
एक छात्रा ने जब उनसे नस्लभेदी संहार में मारे गये अर्मेनियाई नागरिकों के स्मारक पर उनके जाने के बारे में पूछा तो उपराष्ट्रपति ने कहा “मासूमों के कत्ल पर दो राय हर्गिज नहीं हो सकती। जो गलत है वह गलत है। यह एक ऐसा वाकया है जिस पर कोई भी गर्व नहीं कर सकता।”
एक छात्रा ने जब उनसे हिंदी में बात की तो पूरे हॉल में आश्चर्य मिश्रित खुशी दिखाई दी। उपराष्ट्रपति ने उससे कहा कि दुनिया की हर भाषा संपर्क का जरिया है जिसे प्रोत्साहन मिलना चाहिये।संस्कृति के क्षेत्र में काम कर रही दोनों देशों की संस्थाओं को एक-दूसरे की भाषाओं को बढ़ाने में पहल करनी चाहिये।
डॉ़ अंसारी ने कहा कि जिन देशों ने लोगों को शिक्षित करने और मजबूत उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था तैयार करने पर निवेश किया है तथा जिनके लोकतांत्रिक संस्थान सामाजिक परिवर्तनों से निपटने में सक्षम हैं वे लाभ की स्थिति में रहेंगे। इसका करण यह होगा कि लोगों की जरूरतें पूरी होंगी और वह राष्ट्र अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में सक्षम होगा।


