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यीडा बोर्ड ने जेपी एसोसिएट्स का बकाया के बदले जमीन का देने का प्रस्ताव किया खारिज

किसानों और निवेषकों के हितों को सर्वोपरि रखते बोर्ड ने बोर्ड जेपी एसोएिट्स व इंफ्राटेक मामले में गाइड लाइन तय की

यीडा बोर्ड ने जेपी एसोसिएट्स का बकाया के बदले जमीन का देने का प्रस्ताव किया खारिज
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ग्रेटर नोएडा। जेपी एसोसिएट्स और जेपी इंफ्राटेक के मामले में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने अपने साथ किसान और खरीदारों के हितों को सर्वाेपरि रखा है।

दोनों मामलों बोर्ड ने गाइड लाइन तय कर दी है। जेपी एसोसिएट्स की स्पोट‘र्स सिटी परियोजना में बकाये के बदले प्राधिकरण जमीन नहीं लेगा। बल्कि कहा है कि जेपी ही जमीन बेचकर उनका पैसा चुकाए।

जितनी जमीन दी जानी है, पहले उतने हिस्से को बहाल किया जाएगा। इस परियोजना में जेपी को पर करीब 2700 करोड़ रुपये बकाया है।

यह भी कहा है कि जेपी 75 हेक्टेयर जमीन बेचकर पहले किसानों का अतिरिक्त मुआवजे का पैसा जमा करे। दूसरे प्रस्ताव पर बोर्ड ने कहा कि जेपी इंफ्राटेक को अधिग्रहण करने वाली कंपनी को किसानों का अतिरिक्त मुआवजा देना होगा। एक्सप्रेसवे की सुविधाएं और भविष्य में एक्सप्रेसवे को चौड़ा भी कंपनी को ही करना होगा।

यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की ष्षुक्रवार 75वीं बोर्ड बैठक अध्यक्ष व प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास अरविंद कुमार की अध्यक्षता में हुई। इसमें सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह, एसीईओ मोनिका रानी, रवींद्र सिंह, ग्रेनो प्राधिकरण के एसीईओ अमनदीप डुली, ओएसडी शैलेंद्र भाटिया, शैलेंद्र सिंह मौजूद रहे। बैठक में जेपी ग्रुप की स्पोट‘र्स सिटी परियोजना रद्द आवंटन को बहाल करने के लिए जेपी द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

प्राधिकरण ने जेपी एसोसिएट्स पर 2009-10 में 1085 हेटेयर जमीन आवंटित की थी। इसमें फार्मूला-1 रेसिंग ट्रैक, क्रिकेट स्टेडियम आदि है। कुछ हिस्सा बिल्डरों को भी बेचा है। प्राधिकरण ने दस साल में 20 किस्तों में पैसा जमा की शर्त रखी थी। जेपी ने समय पर पैसा जमा नहीं किया। 2018 में कोर्ट के आदेश पर दो बार में 100 करोड़ रुपए जमा कराए थे।

बकाया जमा नहीं कराने पर 2019 में इसका आवंटन रद्द कर दिया गया था। इसके बाद जेपी फिर हाईकोर्ट गया। अदालत ने कहा कि पहले प्राधिकरण में 100 करोड़ रुपये जमा कराएं। इसके बाद अपनी योजना बकाया पैसा देने, खरीदारों के घर बनाने आदि की कार्ययोजना सभी से साझा करें। इस मामले की सुनवाई 12 दिसंबर को होनी है। जेपी के इसी प्रस्ताव पर प्राधिकरण बोर्ड ने दिशा तय कर दी है।

जेपी ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि बकाया के बदले वह प्राधिकरण को जमीन देगा। उसके पास व्यावसायिक और ग्रुप हाउसिंग 75 हेक्टेयर जमीन है। प्राधिकरण ने कहा कि वह जमीन नहीं लेगा। बल्कि जेपी ही जमीन बेचकर पैसा चुकाए।

प्राधिकरण ने कहा कि पहले वह उस जमीन का आवंटन बहाल करेगा, जिसे उसको बेचना है। बहाल कराने के लिए जेपी को आवंटन के समय की कुल कीमत 10 प्रतिशत पैसा जमा कराना होगा।

प्राधिकरण ने यह भी कहा कि पहले किसानों का अतिरिक्त मुआवजे पैसा दिया जाए। यह करीब 759 करोड़ है। जेपी से पैसा मिलने से जगनपुर-अफजलपुर, औरंगपुर, नौरंगपुर, बेलाकला, गुनपुरा, दनकौर, अट‘टा गुजरान समेत 10 गांवों के किासनों को अतिरिक्त मुआवजा मिल सकेगा। जेपी ने अपने प्रस्ताव में खरीदारों की बात की है। इस परियोजना में करीब 3200 खरीदार फंसे हैं।

जेपी ने कहा है कि वह अपनी जमीन बेचकर दो साल में खरीदारों को कब्जा दे देंगे। कोविड के दौरान जीरो पीरियड देने, ब्याज दर कम करने सहित कई और बिंदु शामिल हैं। इस पर भी प्राधिकरण फैसला लेगा और 12 दिसंबर को अदालत में अपना पक्ष रखेगा।

जेपी इंफ्राटेक को 5000 किसानों को देना होगा अतिरिक्त मुआवजा

जेपी इंफ्राटेक का मामला एनसीएएलटी में है। यह कंपनी दीवालिया हो चुकी है और सरकारी कंपनी सुरक्षा इसका अधिग्रहण करेगी। यह प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। अंतिम सुनवाई बहुत जल्द होगी और इसमें सभी पक्ष अपनी बात रखेंगे। इसके बाद एनसीएएलटी अपना फैसला देगी। सुरक्षा कंपनी ने अपना प्रस्ताव जमा किया है।

इस प्रस्ताव पर यमुना प्राधिकरण के बोर्ड में चर्चा हुई है। प्रस्ताव में बताया गया है कि वह किसानों को अतिरिक्त मुआवजे का पैसा नहीं देगी। इस पर प्राधिकरण ने आपत्ति जताई है। एलएफडी के साथ यमुना एक्सप्रेसवे के ग्रेटर नोएडा से लेकर आगरा तक करीब 5000 किसानों को अतिरिक्त मुआवजा दिया जाना है। यह पैसा करीब 1689 करोड़ है।

प्राधिकरण ने कहा कि जेपी के साथ हुए अनुबंध का हिस्सा है। जब सुरक्षा इसका अधिग्रहण कर रही है तो उसे यह पैसा उसी अनुबंध के तहत देना होगा। यमुना एक्सप्रेसवे को चलाने के लिए जेपी को 36 साल का समय दिया गया था। सुरक्षा कंपनी चाहती है इस समय में 12 से 15 साल की और बढ़ोतरी की जाए।प्राधिकरण ने इस पर आपत्ति जताई है।

प्राधिकरण बोर्ड ने कहा है कि कंपनी को हाउसिंग परियोजना पूरा करनी होगी। इसमें कितना पैसा लगेगा और कितने साल एक्सप्रेसवे से टोल लेकर इसकी भरपाई की जा सकती है।

इसकी कार्ययोजना जमा करें। उस पर विचार किया जाएगा। बोर्ड ने यह भी कहा है कि जो भी सुविधाएं हैं और भविष्य में बढ़ाई जानी है, वह सुरक्षा को ही जमा करना होगा।

वाहनों की संख्या बढ़ने पर एक्सप्रेस वे को 8 लेन का किया जाएगा। यह काम भी सुरक्षा को करना होगा। अपने मंतव्य से प्राधिकरण एनसीएएलटी को अवगत कराएगा।


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