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यथार्थ अस्पताल ने दुर्घटनाग्रस्त नौ साल के बच्चे का किया निःशुल्क इलाज

सड़क दुर्घटना के बाद बहुत गंभीर अवस्था में पुलिस-प्राधिकरण व किसान यूनियन के सहयोग से यथार्थ वैलनेस एण्ड ट्रामा सेंटर, ग्रेटर नोएडा में नौ वर्षीय बच्चे यश को 7 जनवरी को भर्ती कराया गया

यथार्थ अस्पताल ने दुर्घटनाग्रस्त नौ साल के बच्चे का किया निःशुल्क इलाज
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  • बच्चे के इलाज में सात लाख रुपये का आया खर्चा, इससे पहले 35 लाख का कर चुके हैं इलाज

  • मरीज और चिकित्सक के पवित्र रिस्ते को सुधारने के लिए अस्पताल ने शुरु किया है मुहिम

ग्रेटर नोएडा। सड़क दुर्घटना के बाद बहुत गंभीर अवस्था में पुलिस-प्राधिकरण व किसान यूनियन के सहयोग से यथार्थ वैलनेस एण्ड ट्रामा सेंटर, ग्रेटर नोएडा में नौ वर्षीय बच्चे यश को 7 जनवरी को भर्ती कराया गया। उसे लगातार दौरे पड़ रहे थे और मुंह और सिर से बहुत खून बह रहा था। पेडियेट्रिक इंटेनसिविस्ट डॉ कुशाग्र गुप्ता की अध्यक्षता में आपातकालीन डॉक्टरों की टीम ने बच्चे को जीवन रक्षक उपाय के रूप में श्वास की नली डाली गयी और सभी सहायक उपचार किये गए। बच्चा दो दिन तक मैकेनिकल वेंटिलेटर पर रहा।

सीटी स्कैन में दोनों तरफ जबड़े का फ्रैक्चर पाया गया और खोपड़ी के बायीं ओर की सिर की हड्डी टूट के दिमाग में घुस चुकी थी। मरीज की हालत को देख कर सर्जनों की एक टीम बनाई गयी, जिनमें न्यूरोसर्जन डॉ. पुनीत राणा व डॉ. अंकित और मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. सौरभ कुमार रावत शामिल थे। बच्चे को तुरंत मस्तिष्क और चेहरे की सर्जरी के लिए ले जाया गया।

दोनों सर्जरी को एक साथ करना चुनौतीपूर्ण था, परन्तु बच्चे की जान बचाने के लिए आवश्यक था। बच्चे को सर्जरी के बाद पेडियाट्रिक आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां डॉ. कुशाग्र गुप्ता के नेतृत्व में बाल चिकित्सा टीम ने बच्चे का इलाज किया।

बच्चा जल्द ही पूरी तरह से होश में आ गया और मुँह से भोजन करने लगा। वह अब अपने माता-पिता की देखरेख में डिस्चार्ज होने के लिए पूरी तरह से फिट है। अस्पताल के असिस्टेंट मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुनील बालियान ने कहा कि ष्सड़क दुर्घटना के मरीजों के लिए पहले 24 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं और अक्सर, पीड़ित के परिवार के सदस्यों से संपर्क करने और उनके अस्पताल आने में काफी समय लगता है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, हमने रोगी के जीवन को बचाने के लिए निदान और उपचार तुरंत शुरू करने का निर्णय लिया। बच्चे की सफलतापूर्वक सर्जरी की गयी और पेडियेट्रिक आई सी यू में देखभाल की गयी। जिसके लिए अस्पताल का लगभग 7 लाख का खर्च था, जिसे पूर्णतः निःशुल्क किया गया। अस्पताल के एमडी डॉ. कपिल त्यागी ने कहा कि डॉक्टर व मरीज का पवित्र रिश्ता होता है,उसको कैसे बचाया जाय उसके लिए काम कर रहे हैं। इसे बचाने के लिए मुहिम शुरु किया है, ताकि इससे पहले एक बच्ची का लगभग पैंतीश लाख का इलाज किया गया था।


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