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यादव परिवार में छिड़ी रार थमने का नाम नहीं ले रही

मुलायम सिंह यादव परिवार में छिड़ी रार थमने का नाम नहीं ले रही है, परिवार के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे है

यादव परिवार में छिड़ी रार थमने का नाम नहीं ले रही
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त खाने के बावजूद समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव परिवार में छिड़ी रार थमने का नाम नहीं ले रही है, परिवार के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बाज नहीं आ रहा है, इस रार ने मुलायम सिंह यादव की भूमिका को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होती रहती हैं।

यादव ने गत शनिवार को एक अंग्रेजी अखबार से कह दिया कि सेकुलर मोर्चा बनाने के बारे में उनकी शिवपाल से कोई बात ही नहीं हुई है लेकिन दूसरे ही दिन कल उन्होंने मैनपुरी में अपने बेटे और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ खूब जहर उगला।

उन्होंने यहां तक कह डाला कि अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाना उनकी बडी भूल थी। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने चाचा शिवपाल यादव की तरह अखिलेश यादव पर पार्टी अध्यक्ष पद छोडने की मांग कर डाली।

अपर्णा ने एक कार्यक्रम में आज कहा, “अखिलेश भैया को अपने वायदे के मुताबिक नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को अध्यक्ष पद सौंप देना चाहिए। उन्होंने चुनाव से पहले तीन महीने में अध्यक्ष पद नेताजी को वापस करने का वायदा किया था।

” परिवार की लडाई के एक और पात्र प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने तो शिवपाल यादव पर हमला करते हुए यहां तक कह डाला कि उनका ताे अभी सदस्य के रुप में नवीनीकरण भी नहीं हुआ है। दूसरी ओर, शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव ने इशारों इशारों में प्रोफेसर रामगोपाल यादव को सकुनी तक कह डाला।

राजनीतिक प्रेक्षक और पत्रकार वहीद अहमद इस लडाई में सर्वाधिक नुकसान शिवपाल सिंह यादव का होता देख रहे हैं, हालांकि अंतिम तौर पर इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। उनका दावा है कि परिवार की लडाई में कार्यकर्ता भ्रम की स्थिति में हैं। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में यदि सेकुलर मोर्चे का गठन होता है तो पार्टी का अध्यक्ष रहने के बावजूद अखिलेश के लिए भी यह घाटे का सौदा हो सकता है।


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