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स्ट्रैचर पर घायल मरीज पहुंचा एक्स-रे सेंटर

बड़े-बड़े दावे करने वाला स्वास्थ्य विभाग अपने ही अधीन मरीजों को आपातकालीन स्थिति में लाने ले जाने के लिए बनाई गई 108 डायल स्कीम को नहीं संभाल पा रहा

स्ट्रैचर पर घायल मरीज पहुंचा एक्स-रे सेंटर
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मनेन्द्रगढ़। बड़े-बड़े दावे करने वाला स्वास्थ्य विभाग अपने ही अधीन मरीजों को आपातकालीन स्थिति में लाने ले जाने के लिए बनाई गई 108 डायल स्कीम को नहीं संभाल पा रहा।

108 एम्बुलेंस व 102 महतारी एक्सप्रेस के चालकों पर कड़ाई नहीं होने की वजह से वह वह विगत कुछ दिनों से हड़ताल पर हैं। स्वास्थ्य संबंधित आपातकालीन व्यवस्था के लिए सरकार द्वारा एम्बुलेंस उपलब्ध करवाना सरकार की गंभीरता का प्रतीक है पर जब इस ओर नियमों का कर्मचारियों द्वारा कड़ाई से पालन नहीं किया जाना और ऐसे संवेदनशील पद पर रहते हुए हड़ताल पर चले जाना कहां तक जायज है।

ऐसा ही एक मामला सोमवार को मनेन्द्रगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सामने आया जब समय पर एम्बुलेंस न मिल पाने की वजह से सड़क दुघर्टना में घायल एक युवक को अस्पताल की स्टेऊचर टाली से ही एक्स-रे कराने के लिए जाना पड़ा। लगभग आधा किलोमीटर तक परिजन घायल युवक को स्ट्रेचर से लेकर निजी एक्स-रे सेंटर तक पहुॅचे।

स्टेऊचर से लाने ले जाने के दौरान स्वास्थ्य विभाग का या पुलिस विभाग का कोई भी कर्मचारी घायल के साथ नहीं था। प्राप्त जानकारी के अनुसार लालपुर में रहने वाला रामबाबू तिवारी अपनी मोटरसायकल से नियोगी क्लिीनिक के पास से गुजर रहा था। इसी दौरान विपरीत दिशा से आ रहे वाहन चालक ने उसकी मोटरसायकल को ठोकर मार दी।

इस घटना में रामबाबू तिवारी के कमर व पैर की हड्डी में काफी गंभीर चोटे आई। परिजन 108 एम्बुलेंस को फोन लगाते रहे लेकिन काफी देर होने के बावजूद भी जब कोई वाहन नहीं पहुॅचा तो प्राईवेट आटो कर परिजन रामबाबू को अस्पताल लेकर पहुॅचे।

सरकारी अस्पताल में एक्स-रे मशीन की सुविधा नहीं हो पाने के कारण डॉक्टर ने कही बाहर से एक्स-रे कराने की सलाह दी। अस्पताल में घायल के साथ आए लोग 108 एम्बुलेंस के लिए जब काफी परेशान हो गए तो उन्होने मजबूरी में तत्काल एक्स-रे कराने के लिए अस्पताल के स्ट्रेचर से ही गंभीर रूप से घायल युवक को ले जाने में भलाई समझी।

घायल की हालत ऐसे थी कि किसी भी तरह से दूसरे वाहन में उसे नहीं ले जाया जा सकता था। अस्पताल से एक्स-रे सेंटर तक स्ट्रेचर में लाने ले जाने के दौरान अस्पताल की ओर से कोई भी कर्मचारी साथ में नहीं था।


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