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बच्चों के बस्तों का बोझ होगा कम: जावड़ेकर

सीबीएसई के स्कूलों में अब छात्रों को जल्द ही भारी बस्ते से छुटकारा मिल सकता है क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रलय इसके लिए नए मापदंड बनाने जा रहा है।

बच्चों के बस्तों का बोझ होगा कम: जावड़ेकर
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नई दिल्ली। सीबीएसई के स्कूलों में अब छात्रों को जल्द ही भारी बस्ते से छुटकारा मिल सकता है क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रलय इसके लिए नए मापदंड बनाने जा रहा है। नए नियमों में बस्ते का बोझ न्यूनतम रखने की कोशिश की जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान यह ऐलान किया है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ रहा है, मैं इसे कम करने जा रहा हूं। भारी बस्ता ढोना जरूरी नहीं है। सरकार सीबीएसई स्कूलों के लिए मानक बना रही है ताकि बच्चों को सभी किताबें और कापियां रोज स्कूल नहीं ले जानी पड़े।

कुछ समय पूर्व सीबीएसई ने अपने स्कूलों में कक्षा दो तक बच्चों को बस्ता नहीं लाने और आठवीं तक सीमित किताबें लाने के लिए दिशा-निर्देश दिए थे। लेकिन इन्हें अनिवार्य नहीं किया गया था। अब मंत्रलय की कोशिश यह है कि बस्ते के बोझ की एक उपयुक्त सीमा निर्धारित कर दी जाए।

केंद्रीय विद्यालयों में बस्ते के लिए वजन तय है और काफी हद तक उसका पालन भी हो रहा है। इसके तहत कक्षा दो तक दो किलो, कक्षा चार तक तीन किलो, कक्षा सात तक चार किलो और इससे ऊपर की कक्षाओं के लिए छह किलो वजन तय है। वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी मानव संसाधन विकास मंत्रलय को पत्र लिखा है, जिसमें स्कूलों में शारीरिक दंड की प्रथा समाप्त करने की वकालत की गई है।


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