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स्थानीय निकाय चुनावों में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को मिलेगी सफलता?

जर्मन राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया (एनआरडब्ल्यू) में रविवार को हो रहे स्थानीय निकाय के चुनाव से पहले आए पोल बता रहे हैं कि इस साल एएफडी एक मजबूत ताकत के रूप में उभर सकती है

स्थानीय निकाय चुनावों में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को मिलेगी सफलता?
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जर्मन राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया (एनआरडब्ल्यू) में रविवार को हो रहे स्थानीय निकाय के चुनाव से पहले आए पोल बता रहे हैं कि इस साल एएफडी एक मजबूत ताकत के रूप में उभर सकती है.

जर्मनी के सबसे घनी और बड़ी आबादी वाले राज्य नॉर्थराइन वेस्टफेलिया में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए मतदान जारी है. चांसलर बनने के बाद स्थानीय चुनावों को फ्रीडरिष मैर्त्स के लिए पहली परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. एनआरडब्ल्यू में करीब 1.37 करोड़ मतदाता है जो राज्य की 20 हजार सीटों के लिए अपना मत डालेंगे. कुल 427 नगरपालिकाओं में नगर और नगरपालिका परिषदों, काउंटी परिषदों, महापौरों और जिला प्रशासकों को चुना जाएगा.

जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक चांसलर मैर्त्स की नजर इन चुनावों के नतीजों पर बनी हुई है. उन्होंने कहा है कि वह इन नतीजों का विश्लेषण करेंगे और देखेंगे कि ये नतीजे राष्ट्रीय और स्थानीय राजनीति के लिए क्या मायने रखते हैं. हालांकि, चुनावी सर्वे बता रहे हैं कि आप्रवासन के मुद्दे पर उनकी सरकार की नीतियों की असफलता का नुकसान उन्हें इस चुनाव में झेलना पड़ सकता है.

फरवरी में संपन्न हुए राष्ट्रीय चुनावों के बाद जर्मनी में यह दूसरा सबसे बड़ा चुनाव है. 1999 से इस प्रांत में चांसलर मैर्त्स की पार्टी क्रिश्चन डेमोक्रेटिक पार्टी (सीडीयू) हमेशा बेहतर प्रदर्शन करती आई है. 34.3 फीसदी वोटों के साथ सीडीयू ने 2020 में हुए चुनावों में भी पहले नंबर पर रही थी. वहीं, एसपीडी को 24.3 फीसदी और ग्रीन पार्टी को 20 फीसदी वोट मिले थे. धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी 5.1 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई थी. वहीं, लेफ्ट पार्टी को सबसे कम 3.8 फीसदी वोट मिले थे.

आप्रवासन के मुद्दे पर असफलता बनेगी सीडीयू की हार की वजह?

हालांकि, इस बार नतीजों की तस्वीर बदल सकती है. चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि एएफडी को इस बार ज्यादा वोट मिलने की संभावना है. सर्वे बता रहे हैं कि वामपंथी और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टियों का गढ़ रहे एनआरडब्ल्यू में इस साल एएफडी एक बड़े ताकत के रूप में ऊभर सकती है.

चुनावी पोल के मुताबिक इस बार सीडीयू सबसे बड़ी पार्टी बनकर जरूर उभरेगी लेकिन एएफडी को भी मजबूत समर्थन मिलने की संभावना है. डीडब्ल्यू से बातचीत में राजनीतिक वैज्ञानिक ओलिवर लैम्बैक ने बताया कि आप्रवासन और एकीकरण के मुद्दे पर सीडीयू की असफलता का असर पार्टी के प्रदर्शनों पर भी देखने को मिल सकता है.

जर्मन अखबार 'बिल्ड आम जोनटाग' के एक सर्वे के मुताबिक चार महीनों के अंदर ही मौजूदा सरकार के लिए लोगों के बीच समर्थन कम हुआ है. पिछले सर्वे के मुकाबले इस सर्वे में फ्रीडरिष मैर्त्स की पार्टी को 1 फीसदी कम (25 फीसदी) लोगों को समर्थन मिला. वहीं, गठबंधन में शामिल एसपीडी की लोकप्रियता में भी 1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. वहीं, सर्वे में शामिल 25 फीसदी लोगों ने कहा कि वे निकाय चुनावों में एएफडी को वोट देंगे.


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