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रेयर अर्थ के लिए म्यांमार के विद्रोहियों से हाथ मिलाएगा भारत?

स्मार्टफोन, ईवी और हाई टेक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ को पाने के लिए भारत म्यांमार के विद्रोही समूह से डील करना चाहता है

रेयर अर्थ के लिए म्यांमार के विद्रोहियों से हाथ मिलाएगा भारत?
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स्मार्टफोन, ईवी और हाई टेक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले रेयर अर्थ को पाने के लिए भारत म्यांमार के विद्रोही समूह से डील करना चाहता है.

इस मामले से परिचित चार लोगों के मुताबिक भारत एक शक्तिशाली विद्रोही समूह की मदद से म्यांमार से रेयर अर्थ के नमूने हासिल करने पर काम कर रहा है. रेयर अर्थ की सप्लाई के मामले में चीन का नियंत्रण मजबूत है, और भारत चाहता है कि इस पर चीन की पकड़ कमजोर हो.

तीन सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, भारत के खनन मंत्रालय ने सरकारी और निजी कंपनियों से उत्तर-पूर्वी म्यांमार में स्थित उन खदानों से नमूने एकत्र करने और ट्रांसपोर्टेशन की संभावनाएं तलाशने को कहा है, जो काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए) के कंट्रोल में हैं.

मंत्रालय ने सरकारी कंपनी आईआरईएल और निजी कंपनी मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स समेत कुछ कंपनियों से कहा है कि वे केआईए के नियंत्रण वाले म्यांमार के उत्तर-पूर्वी इलाकों से रेयर अर्थ के सैंपल इकट्ठा और ट्रांसपोर्ट करें. पिछले साल भारत सरकार ने इन दोनों कंपनियों को फंडिंग दी थी.

अब असम और पश्चिम बंगाल में भी होगा रेयर अर्थ तत्वों का खनन

नई दिल्ली को उम्मीद है कि इन नमूनों का परीक्षण घरेलू लैब में किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इनमें रेयर अर्थ की पर्याप्त मात्रा मौजूद हो, जिन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों और हाई-टेक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले चुंबकों में प्रोसेस किया जा सके.

दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि खनन मंत्रालय ने यह अनुरोध जुलाई में एक ऑनलाइन बैठक में किया था. ऐसा पहली बार है कि भारत सरकार ने किसी विद्रोही समूह से जुड़े ऐसे मुद्दे पर वार्ता की हो.

एक और सूत्र ने बताया कि केआईए ने भारत के विश्लेषण के लिए नमूने इकट्ठा करना शुरू कर दिया है. विद्रोही समूह इस बात का आकलन करने पर भी सहमत हुआ है कि क्या भारत को थोक निर्यात संभव है.

भारत के विदेश और खनन मंत्रालयों ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया. आईआरईएल और मिडवेस्ट ने भी टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया.

रेयर अर्थ पर चीन का नियंत्रण

रेयर अर्थ एलिमेंट की खुदाई और उत्पादन में फिलहाल चीन सबसे आगे है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में चीन ने भी 4 अप्रैल को रेयर अर्थ का निर्यात रोक दिया था. 1990 के दशक से ही चीन ने इन तत्वों के क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम करके रखा हुआ है. दुनियाभर में 85 से 95 फीसदी रेयर मेटल की मांग चीन ही पूरी करता है. इसी साल चीन ने भारत को होने वाले निर्यात में भी भारी कटौती की है.

2023 में, भारत का रेयर अर्थ मेटल का सबसे बड़ा सप्लायर चीन था. चीन ने भारत को 5.32 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था. उस वक्त भारत ने रेयर अर्थ का कुल मिलाकर करीब 13.1 मिलियन डॉलर का आयात किया था. चीन के अलावा भारत ने दक्षिण कोरिया, जापान, फ्रांस और अमेरिका से भी रेयर अर्थ मंगवाए थे.

रेयर अर्थ तत्व क्या होते हैं

कुल 17 तरह के तत्वों को रेयर अर्थ एलिमेंट्स कहा जाता है लेकिन यह नाम थोड़ा भ्रमित करने वाला है. असल में, यह तत्व धरती पर काफी आम हैं और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पूरी दुनिया में पाए जाते हैं. असल चुनौती है, ऐसे इलाकों को ढूंढना जहां यह अधिक मात्रा में हो और खुदाई कर उन्हें निकालना आर्थिक रूप से फायदेमंद हो. फिलहाल, अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया के लगभग 70 फीसदी रेयर अर्थ एलिमेंट्स चीन में निकाले जाते हैं. जिसमें से अधिकतर चीन के उत्तर में स्थित बायन ओबी नाम की खान से आते हैं.

स्मार्टफोन से लेकर पतली स्क्रीन वाले टीवी, डिजिटल कैमरे और एलईडी लाइट भी इन पर निर्भर हैं. लेकिन इसका सबसे अहम इस्तेमाल स्थायी चुंबक बनाने में होता है. यह चुंबक कई दशकों तक अपनी चुंबकीय शक्ति बनाए रख सकते हैं क्योंकि यह काफी शक्तिशाली होते हैं और इन्हें कितना भी छोटा या हल्का बनाया जा सकता है. इसलिए यह इलेक्ट्रिक गाड़ियों से लेकर विंड टरबाइनों के लिए बहुत जरूरी होते हैं.

रेयर अर्थ तत्वों का इस्तेमाल केवल यहीं तक सीमित नहीं है. रक्षा तकनीक में जैसे कि लड़ाकू विमान, मिसाइल और पनडुब्बियों के लिए भी यह बहुत जरूरी होते हैं. इसीलिए दुनिया भर में इस तत्व की सबसे ज्यादा मांग है.


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