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जर्मनी में बिजली पर सब्सिडी का विरोध क्यों हो रहा है

जर्मन सरकार ने लोगों के लिए बिजली पर टैक्स में कटौती की योजना बनाई है.

जर्मनी में बिजली पर सब्सिडी का विरोध क्यों हो रहा है
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जर्मनी: जर्मन सरकार ने लोगों के लिए बिजली पर टैक्स में कटौती की योजना बनाई है. फिलहाल यहां बिजली की दरें दुनिया की सबसे महंगी दरों में एक हैं. हालांकि सरकार की इस योजना की आलोचना भी हो रही है, मगर क्यों?

जर्मनी में साल की पहली तिमाही में बिजली की दर 38 यूरो प्रति किलोवाट घंटा थी. इस हिसाब से यह दुनिया में पांचवीं सबसे महंगी बिजली की दर है. सरकार ने महंगाई से जूझते लोगों को राहत देने के लिए बिजली की दरों में कुछ टैक्स घटाने की योजना बनाई है. हालांकि योजना सीमित सेक्टरों के लिए होने की वजह से लोग खुश नहीं हैं. पहले सरकार ने जो वादा किया था उससे यह उम्मीद जगी थी कि सभी ग्राहकों के लिए बिजली पर टैक्स कम होगा.

रिटेल, औद्योगिक और ऊर्जा क्षेत्र के प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार की कोशिशों का ज्यादा असर नहीं होगा लेकिन यह प्रतियोगिता में बाधा बन सकता है. इस साल की शुरुआत में जर्मनी में गठबंधन सरकार बिजली पर टैक्स को यूरोपीय संघ में सबसे कम दर पर लाने के लिए रजामंद हुई थी. टैक्स में यह कमी पहले सभी ग्राहकों के लिए करने की योजना बनी थी.

हालांकि 2026 के लिए वित्त मंत्रालय ने जो फ्रेमवर्क बजट मंगलवार को पेश किया उसमें यह राहत सिर्फ उद्योग, कृषि और वानिकी को देने की योजना है. आर्थिक दिक्कतों का हवाला दे कर सरकार ने कई कंपनियो और ग्राहकों को इस छूट से बाहर कर दिया है.

जर्मनी को इस साल आधी बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों से मिली

सत्ताधारी गठबंधन में असहमति

सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के नेतृत्व वाले वित्त मंत्रालय और रूढ़िवादी सीडीयू और उसकी बवेरियाई सहयोगी पार्टी सीएसयू के साथ सब्सिडी के मुद्दे पर ठन गई है. पिछले महीने सरकार के गठन के बाद दोनों पार्टियों में पहली बार किसी मुद्दे पर मतभेद खुल कर सामने आए हैं.

एचडीई ट्रेड एसोसिएशन के प्रमुख आलेक्जांडर फॉन प्रीन का कहना है, "गठबंधन की शर्तों का इस तरह से उल्लंघन करके सरकार कारोबार में अविश्वास को बढ़ावा दे रही है और कंपनियों के पैरों के नीचे से जमीन खींची जा रही है.

सीडीयू/सीएसयू संसदीय गुट के उप नेता सेप म्यूलर का कहना है कि हर किसी के लिए बिजली की कीमत घटाना पार्टी का अब भी लक्ष्य बना हुआ है. म्यूलर ने रॉयटर्स से कहा, "हमें अब इस पर तत्काल चर्चा करने की जरूरत है कि हम इसे कब लागू कर सकते हैं."

भारी कर्ज लेने के बावजूद राहत नहीं

जर्मनी के चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स (डीआईएचके) टैक्स में कटौती कई कंपनियों के मुंह पर तमाचा है क्योंकि सरकार ने एक योजना को तत्काल उपाय में बदल दिया है. डीआईएचके के प्रमुख पीटर आड्रियान का कहना है, "किसी को नहीं समझ में नहीं आ रहा कि रिकॉर्ड कर्ज की योजना के बावजूद यह जो बहुत छोटी सी राहत मिलने वाली थी वह क्यों संभव नहीं हो पा रही है." जर्मनी में इस साल के बजट का जो प्रस्ताव बना है उसमें रिकॉर्ड स्तर पर कर्ज लेने की बात कही गई जिसका जिक्र आड्रियान ने किया है.

गुरुवार को आर्थिक मामलों की मंत्री कातरीना राइष ने कहा कि जर्मनी औद्योगिक बिजली की कीमत के लिए एक ठोस विचार पेश करेगा. यूरोपीय संघ ने सरकारी सहायता का एक फ्रेमवर्क तैयार किया है जो इस तरह की सब्सिडी को मंजूरी देता है.

जर्मनी की यूटिलिटी लॉबी बीडीईडब्ल्यू ने भी चेतावनी दी है कि इससे बाजार में उठापटक होगी और अक्षय ऊर्जा का विस्तार धीमा होगा. उद्योग संघ बीडीआई का कहना है कि सीमित संभावाओं और बड़ी सारी सीमाओ की वजह से यह सब्सिडी कीमतों को कम करने में बहुत कम ही सफल होगी खासतौर से अंतरराष्ट्रीय बाजार की प्रतियोगी स्तर की तुलना में.



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