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30 सितंबर को क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे? जानें इसके पीछे की वजह

दुनियाभर में 200 से अधिक देश हैं, जहां अलग-अलग तरह की भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसे में लोगों को मुश्किल उस समय आती है

30 सितंबर को क्यों मनाया जाता है इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे? जानें इसके पीछे की वजह
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नई दिल्ली। दुनियाभर में 200 से अधिक देश हैं, जहां अलग-अलग तरह की भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसे में लोगों को मुश्किल उस समय आती है, जब इन भाषाओं को न तो आप समझ पाते हैं और न ही बोल पाते हैं। इस समस्या से पार पाने के लिए अनुवादक यानी ट्रांसलेटर का सहारा लेना पड़ता है। ये ट्रांसलेटर न केवल भाषा को आसानी से समझा पाता है बल्कि दो लोगों के बीच एक सेतु का भी काम करता है।

ट्रांसलेटरों और भाषा एक्सपर्ट के अमूल्य योगदान को सम्मानित करने के लिए ही अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस यानी इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे की शुरुआत की गई।

दरअसल, अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस हर साल 30 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भाषाओं के बीच संवाद को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक विविधता को जोड़ने और वैश्विक समझ को मजबूत करने में अनुवाद के महत्व को रेखांकित करता है। यह न केवल अनुवादकों के योगदान को सराहता है, बल्कि विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे के करीब लाने में उनकी भूमिका को भी सामने लाता है।

संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 मई 2017 को प्रस्ताव 71/288 के माध्यम से भाषा विशेषज्ञों की भूमिका को मान्यता दी और 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में घोषित किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि भाषा विशेषज्ञ राष्ट्रों को जोड़ने, शांति, समझ और विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 30 सितंबर को सेंट जेरोम का पर्व मनाया जाता है, जिन्हें अनुवादकों का संरक्षक संत माना जाता है। सेंट जेरोम (जो उत्तर-पूर्वी इटली के एक पादरी थे) ने न्यू टेस्टामेंट के ग्रीक पांडुलिपियों से बाइबिल का अधिकांश हिस्सा लैटिन में अनुवाद किया। उन्होंने हिब्रू गॉस्पेल के कुछ हिस्सों को ग्रीक में भी अनुवाद किया। उनकी मातृभाषा इलिरियन बोली थी और वे लैटिन, ग्रीक और हिब्रू में पारंगत थे। जेरोम का निधन 30 सितंबर 420 ईस्वी को बेथलहम के पास हुआ था। यह दिन उन्हीं की स्मृति में मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस पर हर साल एक थीम चुनी जाती है, जिसे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेटर्स चुनता है, जो अनुवाद के सामाजिक, तकनीकी या सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है। इस दिन विश्व भर में सेमिनार, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। साथ ही, अनुवादकों को पुरस्कार दिए जाते हैं और उनके योगदान को सराहा जाता है।

इसके अलावा, सोशल मीडिया पर ट्रांसलेशन डे और इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे जैसे हैशटेग के साथ जागरूकता फैलाई जाती है।

वहीं, भारत में भी इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। भारत जैसे बहुभाषी देश में इसे मनाने का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि यहां हिंदी, तमिल, बंगाली, मराठी जैसी भाषाएं बोली जाती हैं। यह दिन भारतीय साहित्य, फिल्मों और सरकारी दस्तावेजों के अनुवाद के महत्व को भी रेखांकित करता है।


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