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प्रतिबंधों से रुकने वाले नहीं, परिस्थितियों का सामना करने में हम सक्षम : पेजेशकियन

ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने दावा किया है कि उनका देश परिस्थितियों का सामना करेगा और अपने ऊपर लगी पाबंदियों के बावजूद आत्मसमर्पण नहीं करेगा

प्रतिबंधों से रुकने वाले नहीं, परिस्थितियों का सामना करने में हम सक्षम : पेजेशकियन
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तेहरान। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने दावा किया है कि उनका देश परिस्थितियों का सामना करेगा और अपने ऊपर लगी पाबंदियों के बावजूद आत्मसमर्पण नहीं करेगा। उनकी ये टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा तेहरान पर लगे प्रतिबंधों को स्थायी रूप से न हटाने के लिए मतदान किए जाने के बाद आई है।

इस फैसले से बिफरे पेजेशकियन ने कहा कि तेहरान तथाकथित 'स्नैपबैक मैकेनिज्म' के माध्यम से अपने ऊपर लगाए गए किसी भी प्रतिबंध को पार कर लेगा।

पेजेशकियन ने ये बातें सरकारी टेलीविजन पर कही। वो बोले, "'स्नैपबैक' के माध्यम से वे रास्ता रोकते हैं, लेकिन दिमाग और विचार ही रास्ता खोलते या बनाते हैं।"

अपने दो प्रमुख परमाणु केंद्रों पर जून में हुए हमलों का जिक्र करते हुए आगे कहा, "वे हमें रोक नहीं सकते। वे हमारे नातांज या फोर्डो (जून में अमेरिका और इजरायल द्वारा हमला किए गए परमाणु प्रतिष्ठान) पर हमला कर सकते हैं, लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि नातांज का निर्माण और पुनर्निर्माण इंसानों ने ही किया है।"

शुक्रवार को ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने पिछले महीने प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के लिए 30-दिवसीय प्रक्रिया शुरू की थी। इन प्रक्रियाओं में तेहरान पर विश्व शक्तियों के साथ 2015 में हुए उस समझौते का पालन न करने का आरोप लगाया गया था जिसका उद्देश्य उसे परमाणु हथियार बनाने से रोकना था।

सरकारी मीडिया ने पेजेशकियन के हवाले से कहा, "हम अत्यधिक मांगों के सामने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, क्योंकि हमारे पास स्थिति को बदलने की शक्ति है।"

'स्नैपबैक मैकेनिज्म' 2015 के ईरान परमाणु समझौते का एक प्रावधान है, जिसे आधिकारिक तौर पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है। यह समझौते के किसी भी हस्ताक्षरकर्ता को यह अधिकार देता है कि यदि उन्हें लगता है कि ईरान समझौते का पालन नहीं कर रहा है, तो वह जेसीपीओए से पहले के सभी संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को एकतरफा रूप से ईरान पर फिर से लागू कर सकता है। जेसीपीओए के तहत, ईरान प्रतिबंधों में राहत के बदले अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने पर सहमत हुआ था।


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