UNGA में ट्रम्प का दावा : भारत-पाकिस्तान युद्ध खत्म करने में निभाई भूमिका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को संबोधित करते हुए एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान "युद्ध" को समाप्त करने में मदद की है

ट्रम्प बोले- भारत और चीन रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को दे रहे हैं बढ़ावा
- भारत ने किया खंडन, कहा- पाकिस्तान से सैन्य गतिरोध बिना मध्यस्थता के सुलझा
- UN की आलोचना और युद्ध समाधान में अपनी भूमिका पर ट्रम्प का जोर
- भारत पर अतिरिक्त शुल्क और मध्यस्थता के दावे को लेकर ट्रम्प फिर विवादों में
संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को संबोधित करते हुए एक बार फिर दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान "युद्ध" को समाप्त करने में मदद की है और भारत के साथ-साथ चीन पर रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन संघर्ष को वित्तपोषित करने में मदद करने का आरोप लगाया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने आज संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत-पाकिस्तान युद्ध की यह बात फिर दोहराई। इससे पहले भी कई बार उन्होंने अपने इस दावे को दोहराया।
उल्लेखनीय है कि भारत द्वारा यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि मई में पाकिस्तान के साथ उसका सैन्य गतिरोध दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत के बाद समाप्त हो गया था, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं थी।
श्री ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के सात महीनों में सात युद्धों को समाप्त करने में मदद की है।
राष्ट्रपति के अनुसार, ये युद्ध "कंबोडिया, थाईलैंड, कोसोवो और सर्बिया, कांगो और रवांडा, पाकिस्तान और भारत, इज़रायल और इराक, मिस्र और इथियोपिया, और आर्मेनिया और अज़रबैजान एक क्रूर और हिंसक युद्ध थे।"
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की भी आलोचना करते हुए कहा कि उसने किसी भी युद्ध को सुलझाने में उनकी मदद नहीं की। श्री ट्रम्प ने कहा, "और दुख की बात है कि सभी मामलों में, संयुक्त राष्ट्र ने किसी भी मामले में मदद करने की कोशिश तक नहीं की।"
उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कहा "चीन और भारत रूसी तेल खरीद जारी रखकर इस युद्ध के मुख्य वित्तपोषक हैं।" हालाँकि, उन्होंने रूसी ऊर्जा खरीद जारी रखने के लिए नाटो पर भी हमला बोला।
ट्रम्प कार्यालय ने अगस्त में रूसी तेल खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया, जिससे कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्री ट्रम्प के बीच 19 जून को फ़ोन पर हुई बातचीत के दौरान श्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को स्पष्ट कर दिया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए अमेरिका द्वारा मध्यस्थता पर कभी चर्चा नहीं हुई। प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति को बताया था कि भारत ने कभी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है और न ही कभी करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति तब से कई बार यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने व्यापार के प्रलोभन देकर सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में व्यक्तिगत रूप से मदद की थी।


