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ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ 'मजबूत संबंध' पर दिया जोर, 'भारत को खोने' वाली टिप्पणी पर बरती नरमी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को चीन के हाथों "खोने" संबंधी अपनी पिछली टिप्पणी से पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं

ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ मजबूत संबंध पर दिया जोर, भारत को खोने वाली टिप्पणी पर बरती नरमी
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भारत-चीन-रूस समीकरण पर ट्रंप का बयान बदला, रूस से तेल खरीद पर जताई नाराज़गी

  • ट्रंप बोले- भारत से निराश हूं, लेकिन मोदी से संबंध अच्छे हैं
  • अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ का दबाव बढ़ाया, रूसी तेल और ब्रिक्स पर शर्तें रखीं

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को चीन के हाथों "खोने" संबंधी अपनी पिछली टिप्पणी से पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं।

शुक्रवार को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप से उनके इस बयान के बारे में पूछा गया कि क्या उन्होंने "भारत को चीन के हाथों खो देने" के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराया है।

उन्होंने जवाब दिया, "मुझे नहीं लगता कि हमने किसी को जिम्मेदार ठहराया है।"

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छी बनती है, लेकिन रूस से तेल खरीदने को लेकर वे भारत से "बहुत निराश" हैं। ट्रंप ने कहा, "भारत रूस से बहुत ज्यादा तेल खरीद रहा है। हमने भारत पर 50 प्रतिशत का बहुत भारी टैरिफ लगाया है।"

इसी से पहले शुक्रवार को ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर प्रधानमंत्री मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि भारत और रूस शायद चीन के साथ चले गए हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। अब वे साथ मिलकर लंबा और सुखद भविष्य बिताएं।

ट्रंप के प्रशासन और समर्थकों की ओर से हाल के दिनों में भारत के खिलाफ बयानबाजी बढ़ी है। व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने भी आरोप लगाया कि भारत की ऊंची टैरिफ नीतियों की वजह से अमेरिकी नौकरियां जा रही हैं।

ट्रंप की सहयोगी लॉरा लूमर ने एक्स पर दावा किया कि प्रशासन "अमेरिकी आईटी कंपनियों को अपना काम भारतीय कंपनियों को आउटसोर्स करने से रोकने पर विचार कर रहा है।"

ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि "अमेरिका बातचीत के लिए हमेशा तैयार है," लेकिन उन्होंने भारत से कुछ शर्तें मानने की बात कही। उनका कहना था, "भारत को अपना बाजार खोलना होगा, रूसी तेल खरीदना बंद करना होगा और ब्रिक्स समूह से दूरी बनानी होगी। अगर भारत ऐसा नहीं करता तो उसे 50 प्रतिशत टैरिफ देना पड़ेगा।"

उन्होंने भारत के तेल आयात में रूसी कच्चे तेल की बढ़ती हिस्सेदारी पर अमेरिका का विरोध भी जताया और इसे "सरासर गलत" बताया।

वहीं भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया कि भारत अपनी जरूरत के अनुसार रूस से तेल खरीदता रहेगा। उन्होंने कहा, "हमें वही करना होगा जो हमारे हित में है। हम निस्संदेह रूस से तेल खरीदते रहेंगे।"


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