Top
Begin typing your search above and press return to search.

खैबर पख्तूनख्वा में ढीली पड़ रही पाकिस्तान की पकड़, कई मोर्चे पर घिरी पाक आर्मी

खैबर पख्तूनख्वा (के-पी) में पाकिस्तानी सेना की पकड़ ढीली पड़ती नजर आ रही है

खैबर पख्तूनख्वा में ढीली पड़ रही पाकिस्तान की पकड़, कई मोर्चे पर घिरी पाक आर्मी
X

नई दिल्ली। खैबर पख्तूनख्वा (के-पी) में पाकिस्तानी सेना की पकड़ ढीली पड़ती नजर आ रही है। हाल के दिनों में पाकिस्तानी सेना को कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है।

अफगानिस्तान के साथ सीमा पर हुए संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने युद्धविराम के लिए हामी भरी। राहत के बीच पाक आर्मी पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में संघर्ष में उलझी हुई है।

आतंक को पालने वाले पाकिस्तान को अपने ही घर में संघर्ष करना पड़ रहा है। खैबर पख्तूनख्वा में, तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) का पूर्ण कब्जा होता दिख रहा है।

टीटीपी की गतिविधियों को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये 2021 की अपनी नीतियों को फिर से दोहरा रहा है। 2021 में तालिबान ने इसी तरफ से धीरे-धीरे अफगानिस्तान पर कब्जा किया था।

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए टीटीपी ने सबसे पहले ग्रामीण इलाकों में घुसपैठ की और फिर धीरे-धीरे शहरी इलाकों में प्रवेश किया। यह 2021 से पहले अफगान तालिबान की गतिविधियों की एक सामान्य विशेषता है।

एक अधिकारी ने कहा कि टीटीपी की बढ़ती ताकत के कारण स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई सैनिक, खासकर पंजाबी मूल के, इस क्षेत्र में तैनाती से इनकार कर रहे हैं। कुछ ग्रामीण और कबायली इलाके, जहां टीटीपी का पूर्ण नियंत्रण है, उनमें उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान, बाजौर और खैबर कुर्रम से सटे इलाके शामिल हैं।

पाकिस्तानी सैनिक खासतौर से ग्रामीण इलाकों में ड्यूटी करने से इनकार कर रहे हैं। दरअसल, इन इलाकों में टीटीपी की पकड़ मजबूत है। इसके अलावा, टीटीपी को स्थानीय समर्थन प्राप्त है, जिससे पाकिस्तानी सेना के लिए स्थिति और भी खराब हो जाती है।

कई सैनिकों ने इन क्षेत्रों में लड़ने से इनकार कर दिया। एक समझौते के तौर पर, यह तय किया गया कि सैनिक टीटीपी कार्यकर्ताओं को खत्म करने के लिए अभियान चलाने के बजाय रक्षात्मक स्थिति में खड़े रहेंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में टीटीपी का प्रभुत्व तो है, लेकिन पाकिस्तानी सेना शहरी क्षेत्रों में घुसपैठ को लेकर चिंतित है। बारा रोड कॉरिडोर और बड़ाबेर व मट्टानी जैसे शहरी क्षेत्रों में घुसपैठ ने पाकिस्तान को चिंतित कर दिया है। टीटीपी के इन क्षेत्रों में घुसपैठ से पहले, ये फ्रंटियर कोर और पुलिस के नियंत्रण में थे। अब इन क्षेत्रों का इस्तेमाल टीटीपी के अभियानों के लिए धन जुटाने के लिए किया जा रहा है।

इन इलाकों से आतंकवादियों के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद भी ले जाया जा रहा है। हाल ही में, सड़कों पर नाचते और खुलेआम चंदा इकट्ठा करते टीटीपी कार्यकर्ताओं के वीडियो सामने आए थे। इससे साफ जाहिर है कि इन इलाकों में टीटीपी ने अपना दबदबा किस कदर कायम कर रखा है। वीडियो में टीटीपी लड़ाके वाहनों और दस्तावेजों की जांच करते भी दिखाई दे रहे हैं।

पाकिस्तानी सेना के लिए टीटीपी पर नियंत्रण पाना मुश्किल होता जा रहा है। टीटीपी के पास खूंखार लड़ाकों का एक समूह है, जिन्हें हराना पाकिस्तानी सेना के लिए मुश्किल है।

पाकिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में सेना को लेकर कड़ा विरोध महसूस किया जा रहा है। स्थानीय लोग सेना की बजाय टीटीपी का समर्थन करते हैं। यही स्थिति बलूचिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में भी देखने को मिल रही है।

सेना बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के साथ भीषण संघर्ष में है और हाल के वर्षों में उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

तालिबान के साथ भी रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं, और इसने भी सेना की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं भारतीय सीमा पर हमारी कमर कसकर तैयार है। इतने सारे मोर्चों पर खुद को व्यस्त रखने से सेना के पास कोई विकल्प नहीं बचता और बदले में उसे नुकसान भी उठाना पड़ा है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it