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ईरान और पाकिस्तान से एक दिन में 11 हजार से अधिक अफगान शरणार्थियों की जबरन वापसी

ईरान और पाकिस्तान से एक ही दिन में 11,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा गया है। यह जानकारी रविवार को तालिबान के एक अधिकारी ने दी और स्थानीय मीडिया ने इसकी पुष्टि की

ईरान और पाकिस्तान से एक दिन में 11 हजार से अधिक अफगान शरणार्थियों की जबरन वापसी
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काबुल। ईरान और पाकिस्तान से एक ही दिन में 11,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा गया है। यह जानकारी रविवार को तालिबान के एक अधिकारी ने दी और स्थानीय मीडिया ने इसकी पुष्टि की।

तालिबान के उप प्रवक्ता हम्दुल्लाह फित्रत ने प्रवासियों से जुड़े उच्च आयोग की रिपोर्ट को प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया। रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को कुल 2,102 अफगान परिवार यानी 11,855 लोग अपने देश लौटे हैं।

ये अफगान नागरिक निमरोज स्थित पुल-ए-अबरिशम, कंधार के स्पिन बोलदक, हेलमंद के बहरामचा, हेरात के इस्लाम क़ला और नंगरहार के तोरखम सीमा मार्ग से अफगानिस्तान में दाखिल हुए।

फित्रत ने बताया कि देश लौटे 2,287 शरणार्थियों (कुल 13,246 लोगों) को उनके गृह प्रांतों तक पहुंचाया गया, जबकि 1,760 लोगों को मानवीय सहायता उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही लौटने वालों को 1,060 सिम कार्ड भी वितरित किए गए।

इस बीच, इस सप्ताह करीब 400 अफगान नागरिकों ने पेशावर उच्च न्यायालय का रुख किया और जबरन निर्वासन रोकने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि यदि उन्हें अफगानिस्तान भेजा गया तो उनका उत्पीड़न किया जाएगा, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और ‘नॉन-रिफाउलमेंट’ सिद्धांत का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ताओं में ज़किया दु्निया ग़ज़ल समेत कई अन्य कलाकार शामिल हैं। उन्होंने अदालत से 13 दिसंबर 2024 के उस फैसले के अनुसार निर्णय देने की मांग की, जिसमें कुछ कलाकारों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को निर्वासन से संरक्षण दिया गया था।

याचिका में पाकिस्तान के संघीय गृह मंत्रालय, कैबिनेट डिवीजन के सचिव, एनएडीआरए, इमिग्रेशन और एफआईए के महासंचालकों सहित खैबर पख्तूनख्वा के मुख्य सचिव और गृह सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि तालिबान शासन के बाद अफगानिस्तान में कलाकारों और गायकों के लिए रहना बेहद खतरनाक है, क्योंकि संगीत और सांस्कृतिक गतिविधियों पर खुला प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने दावा किया कि वे अपनी जान बचाने के लिए पेशावर में बस गए थे।

उन्होंने पाकिस्तान के जबरन निर्वासन अभियान को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के समझौतों और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के खिलाफ बताया।


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