नेपाल प्रदर्शन : काठमांडू में फिर से कर्फ्यू , गृह मंत्री, कृषि मंत्री के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी दिया इस्तीफा,पीएम ओली ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन के विरोध में जारी हिंसक प्रदर्शन के बीच सरकार पर संकट गहरा रहा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मंत्रिमंडल के एक अन्य मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया

नेपाल प्रदर्शन : काठमांडू में कर्फ्यू, गृह मंत्री, कृषि मंत्री, ऊर्जा मंत्री समेत स्वास्थ्य मंत्री ने भी दिया इस्तीफा, ओली ने बुलाई बैठक
काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन के विरोध में जारी हिंसक प्रदर्शन के बीच सरकार पर संकट गहरा रहा है। नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने पहले ही देश में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है। और अब एक के बाद एक इस्तीफों की लाइन लग गई है। कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल, वाटर सप्लाई मंत्री प्रदीप यादव ने भी इस्तीफा दे दिया।
बता दें, मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के मंत्रिमंडल के एक अन्य मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया।
कृषि और पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि हिंसा से देश की पीड़ा को देखते हुए वह अपने पद पर बने नहीं रह सकते थे।
कृषि और पशुधन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, "हिंसा ने यह सवाल उठाया है कि क्या मौजूदा सरकार एक अधिनायकवादी व्यवस्था की ओर बढ़ रही है।"
इससे पहले, नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
भारी दबाव के बीच नेपाल में गठबंधन सरकार टूटने का खतरा बढ़ गया है। देश में जुलाई 2024 से 88 सीटें वाली शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस और 79 सीटें वाली केपी शर्मा ओली की CPN (UML) मिलकर सरकार चला रही है। अभी तक सभी इस्तीफे नेपाली कांग्रेस के नेताओं ने दिए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 21 सांसदों ने सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला किया है। पार्टी का कहना है कि मौजूदा हालात में संसद भंग कर नए चुनाव कराए जाएं ताकि जनता को सही विकल्प मिल सके।
इस गंभीर संकट के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आज शाम 6 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाने का ऐलान किया है। साफ़ है, अब पीएम ओली की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या श्रीलंका और बांग्लादेश की ही तर
ह नेपाल में भी युवा सरकार का तख्तापलट करने वाले हैं। इस बीच भारत सरकार की तरफ से भी एडवाइसरी जारी की गई है। सरकार नेपाल के मौजूदा हालात पर नजर बनाए हुए हैं.. विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
नेपाल की राजधानी काठमांडू और इसके बाहर सोमवार को हुए जेन-जी प्रदर्शनों के दौरान सरकार की हिंसक प्रतिक्रिया के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। इस हिंसा में कम से कम 19 लोगों की जान गई। मंगलवार को भी काठमांडू के अलग-अलग हिस्सों से छिटपुट विरोध-प्रदर्शन की जानकारी सामने आई। इसके कारण स्थानीय प्रशासन ने लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाते हुए कर्फ्यू लगाया है।
काठमांडू में गृह मंत्रालय के अधीन तीन जिला प्रशासन कार्यालयों (डीएओ) ने अलग-अलग नोटिस जारी करके कई स्थानों पर सुबह से कर्फ्यू लगा दिया, जिसमें शहर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट शामिल हैं।
काठमांडू डीएओ ने मंगलवार को राजधानी महानगरपालिका क्षेत्र में सुबह 8:30 बजे से अनिश्चितकाल तक के लिए कर्फ्यू लागू किया, जिसमें लोगों को आवाजाही, प्रदर्शन, सभाएं या धरने पर रोक है।
कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन, शव वाहन, स्वास्थ्यकर्मियों, पत्रकारों, पर्यटक वाहनों, हवाई यात्रियों और मानवाधिकार व राजनयिक मिशनों के वाहनों की आवाजाही की अनुमति होगी।
इसी तरह, ललितपुर के जिला प्रशासनिक अधिकारी ने भी अलग-अलग संगठनों के प्रदर्शनों के बीच सार्वजनिक शांति और सुरक्षा को प्रभावित करने वाली हिंसक गतिविधियों, दंगों या अशांति की संभावना का हवाला देते हुए जिले के विभिन्न स्थानों पर कर्फ्यू लगाया है।
नोटिस में कहा गया है कि ललितपुर जिले के निर्दिष्ट क्षेत्रों में सभी प्रकार की सभाएं, रैलियां, जुलूस, धरना या सामूहिक गतिविधियां प्रतिबंधित हैं।
भक्तपुर के जिला प्रशासनिक अधिकारी ने भी जिले के विभिन्न स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया है, जिसमें विरोध-प्रदर्शन और सभाओं पर रोक लगा दी गई है।
वहीं, लोग सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार को 'हत्यारी सरकार' कह रहे हैं।
इसी बीच, प्रधानमंत्री ओली ने सोमवार देर रात एक बयान जारी कर विरोध प्रदर्शनों के दौरान अवांछित समूहों की घुसपैठ को इस दुखद घटना का कारण बताया था।


