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नेपाल प्रदर्शन: प्रदर्शन के बीच आखिर क्यों जेन-जी की आस काठमांडू के मेयर पर टिकी हैं, क्या है इसकी वजह?

नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सोमवार को काठमांडू में हुई हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली के खिलाफ विरोध के सुर फूटने लगे हैं। दूसरी ओर जेन-जी काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह की ओर आस भरी निगाहों से देख रही है। आखिर इसकी वजह क्या है?

नेपाल प्रदर्शन: प्रदर्शन के बीच आखिर क्यों जेन-जी की आस काठमांडू के मेयर पर टिकी हैं, क्या है इसकी वजह?
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नेपाल में मची उथल-पुथल के बीच काठमांडू के मेयर पर क्यों टिकी हैं उम्मीद भरी निगाहें?

काठमांडू। नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सोमवार को काठमांडू में हुई हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली के खिलाफ विरोध के सुर फूटने लगे हैं। दूसरी ओर जेन-जी काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह की ओर आस भरी निगाहों से देख रही है। आखिर इसकी वजह क्या है?

नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सोमवार को जेन-जी काठमांडू की सड़कों पर उतर आई। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस और सुरक्षाबलों ने जमकर बल प्रयोग किया। इस दौरान हुई हिंसक झड़प में 19 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए।

हालांकि, सोमवार की देर रात सरकार ने जेन-जी को शांत करने के लिए सोशल मीडिया साइटों को बहाल करने का आदेश जारी कर दिया, लेकिन इसके बावजूद नेपाल की जनता में पुलिस और सरकार के खिलाफ आक्रोश देखा गया। उन्होंने पुलिस कार्रवाई की निंदा की।

गृह मंत्री रमेश लेखक और कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बीच नेपाल की जनता काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देखने लगी है।

सोशल मीडिया पर अपने पद से इस्तीफा देने और एक नई राजनीतिक पार्टी बनाकर राष्ट्रीय नेतृत्व संभालने की बालेंद्र शाह से गुजारिश की जा रही है। आखिर नेपाल की राजनीति में चल रही उथल-पुथल के बीच अचानक बालेंद्र शाह का नाम सामने क्यों आया और जेन-जी उन्हें इतना सपोर्ट क्यों कर रही है, आइए अब ये जान लेते हैं।

बालेंद्र शाह को नेपाल में बालेन नाम से भी जाना जाता है। 27 अप्रैल 1990 को काठमांडू के नरदेवी में एक मैथिल मूल के मधेसी परिवार में जन्मे बालेंद्र शाह एक नेपाली रैपर, सिविल इंजीनियर और काठमांडू के 15वें मेयर हैं। 2022 में वह देश-विदेश की मीडिया में चर्चा का विषय इसलिए बन गए थे, क्योंकि काठमांडू में एक निर्दलीय उम्मीदवार पहली बार मेयर बना था।

2023 में टाइम मैगजीन ने उन्हें टॉप-100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया था। न्यूयॉर्क टाइम्स भी उनके काम की तारीफ कर चुका है।

बालेन की लोकप्रियता खासकर युवाओं में ज्यादा है, इसका कारण उनका युवा होना और काठमांडू में जनता के हितों में कराए गए कार्य हैं। चाहे वह सड़कों और फुटपाथों की सफाई हो या टैक्स चोरी करने वाले निजी स्कूलों पर नकेल कसना, उन्होंने अपने काम से जनता के बीच बेदाग छवि बनाई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति से भी लोग उनके समर्थन में हैं।

मेयर बालेंद्र शाह ने फेसबुक पर जेन-जी के नेतृत्व में शुरू हुए आंदोलन को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन जेन-जी का है और उनकी उम्र ज्यादा हो गई। इसलिए, वह आंदोलन में शामिल तो नहीं होंगे, लेकिन प्रदर्शनकारियों को उनका पूर्ण समर्थन है। उन्हें उम्मीद है कि आंदोलन भ्रष्टाचार और डिजिटल स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों, दोनों की ओर ध्यान आकर्षित करेगा।

इसके बाद सोशल मीडिया यूजर उनके सपोर्ट में आ गए। लोग उनसे काठमांडू के मेयर पद से इस्तीफा देने, एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और राष्ट्रीय नेतृत्व संभालने की मांग करने लगे। उनका कहना है कि अभी नहीं तो कभी नहीं।

बालेंद्र शाह अपने बयानों से नेपाल सरकार का पहले भी विरोध कर चुके हैं। इतना ही नहीं, वह भारत के खिलाफ भी जहर उगल चुके हैं। अखंड नेपाल की वकालत करते हुए एक बार बालेंद्र शाह ने नेपाल की प्रचंड सरकार और अदालत को भारत का गुलाम बता दिया था। उन्होंने ओम राउत की फिल्म 'आदिपुरुष' को काठमांडू के सिनेमाघरों में दिखाने की हाईकोर्ट की अनुमति का पालन करने से इनकार कर दिया था।

बालेंद्र ने कहा था कि जब बात उनके देश की संप्रभुता और स्‍वतंत्रता की आएगी तो वह किसी कानून को नहीं मानेंगे। बालेंद्र ने दावा किया था कि 'आदिपुरुष' में सीता को भारत की बेटी कहा गया है। जब तक इस डायलॉग को फिल्‍म से हटाया नहीं जाता है, तब तक वह फिल्‍म को काठमांडू में नहीं चलने देंगे, जबकि सीता का जन्‍म स्‍थान नेपाल में है।


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