नेपाल को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री
सुशीला कार्की ने नेपाल में प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है. जेनजी कार्यकर्ताओं ने एक ऐप का इस्तेमाल कर उनके नाम पर सहमति बनाई

सुशीला कार्की ने नेपाल में प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है. जेनजी कार्यकर्ताओं ने एक ऐप का इस्तेमाल कर उनके नाम पर सहमति बनाई.
73 साल की कार्की इससे पहले नेपाल की मुख्य न्यायधीश रह चुकी हैं. अब वो देश की अंतरिम प्रधानमंत्री होंगी. उनके ऊपर व्यवस्था को बहाल करने और प्रदर्शनकारियों की मांग के मुताबिक भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था को संभव बनाने की जिम्मेदारी है. पिछले दिनों भारी उथल-पुथल से गुजरे नेपाल में अब उन्हें सरकार बनाकर फिर से काम करने की स्थितियां पैदा करनी हैं.
इसके साथ ही नेपाल में धीरे-धीरे सामान्य जनजीवन पटरी पर लौट रहा है. सेना ने भी शुक्रवार को कर्फ्यू में ढील दे दी. देश में हफ्ते की शुरुआत से ही कर्फ्यू लगा हुआ था. सोमवार को सोशल मीडिया पर लगे बैन के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए. देखते ही देखते स्थिति विस्फोटक हो गई और प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट, संसद भवन और बहुत सारी सरकारी इमारतों में आग लगा दी. इन हालात में केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा. इन हिंसक प्रदर्शनों में 50 से ज्यादा लोगों की जान भी गई थी.
शुक्रवार को कार्की के शपथ लेने के बाद स्थिति जल्द सामान्य होने की उम्मीद है. इस बीच, सड़कों पर सेना की मौजूदगी घटी है. शनिवार सुबह होते-होते देश के ज्यादातर हिस्सों में तनाव और भी कम हो चुका था. बाजार खुल गए थे, ट्रैफिक सामान्य स्थिति में लौट रहा था और मंदिरों के बाहर श्रद्धालु भी जुटने लगे थे.
5 मार्च, 2026 को होंगे अगले चुनाव
मौजूदा संसद को भंग कर दिया गया है और अगले चुनावों के लिए 5 मार्च, 2026 की तारीख तय की गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक सुशीला कार्की को यह पद संभालने के लिए नेपाल के सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडल ने राजी किया. उनके सात जेनजी के प्रतिनिधि भी इस बातचीत में शामिल थे. नेपाल के युवा विरोध आंदोलन को जेनजी आंदोलन नाम दिया गया है. अपनी आजाद सोच के लिए मशहूर सुशीला कार्की जब पद संभालने के लिए राजी हो गईं, तब उनकी नियुक्ति की घोषणा की गई.
नेपाल के बिल्कुल युवा समूह, जिनके समूह को जेनजी कहा जा रहा है, उन्होंने डिस्कॉर्ड नाम की एक सोशल मीडिया ऐप के जरिए कार्की के नाम की सहमति बनाई थी. अब इसी ऐप के सहारे वो सरकार के आगे के कदमों को लेकर बहस कर रहे हैं. लोग अब जल्द ही उपद्रव को भुला देना चाहते हैं. ऐसे में नई प्रधानमंत्री का समाज के ज्यादातर वर्गों ने स्वागत किया है.
कार्की से उम्मीदें
ज्यादातर नेपाली लोगों ने प्रधानमंत्री के तौर पर सुशीला कार्की की नियुक्ति का स्वागत किया है. लोगों का कहना है कि यह एक सांकेतिक बदलाव है और इसमें स्थितियां बदलने का वादा भी छिपा है. एक सामाजिक कार्यकर्ता 51 साल के सूरज भट्टाराई ने कहा, "नेपाल को पहली महिला प्रधानमंत्री मिल गई है. हम सोचते हैं कि प्रधानमंत्री, जो हमारी पूर्व मुख्य न्यायधीश हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ नेपाल की लड़ाई का नेतृत्व करेंगी और सुशासन को बढ़ावा देंगी."
करीब दशक भर चले गृहयुद्ध और साल 2008 में देश से राजशाही के अंत के बाद से इस हफ्ते देश में सबसे बड़े हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इसके बाद बुधवार से नेपाल में हर जगह पर भारी संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया गया था. बहुत से लोगों को उम्मीद है कि कार्की नए नेपाल के उनके सपने को पूरा करेंगी.


